नई दिल्ली। चीन अपनी कारगुजारियों से बाज नहीं आ रहा। इस बार उसके हैकरों पर गं•ाीर आरोप लगाए गए हैं। अमेरिका के अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने कहा है कि अमेरिकी कारोबार की जानकारियां चुराने की चीनी सरकार की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अमेरिका और ब्रिटेन के अधिकारियों ने चीनी सरकार समर्थित हैकरों पर कई आपराधिक लगाने के साथ उन पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया। दोनों देशों ने आरोप लगाया कि अपनी सरकार के समर्थन से इन चीनी हैकरों ने अमेरिकी कंपनियों, लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं, अमेरिकी पत्रकारों और अधिकारियों तथा ब्रिटेन की चुनाव निगरानी संस्था को निशाना बनाया है।

हैकरों ने चीन के इशारे पर यह आ•िायान क्यों शुरू किया, इसे ऐसे समझिए कि वह वह चीन के आलोचकों को बिल्कुल पसंद नहीं करता है। उनका उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों के कारोबार की खुफिया जानकारी चुराना और शीर्ष नेताओं की जासूसी करना •ाी है। खबरों के मुताबिक पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने  ‘एपीटी31’ नामक हैकर समूह के अ•िायान का खुलासा किया है। बताते हैं कि अमेरिका के न्याय वि•ााग ने चीन में रह रहे सात हैकरों पर आरोप लगाए हैं।

वहीं ब्रिटेन की सरकार ने अपने लाखों मतदाताओं के बारे में चुनाव आयोग के पास उपलब्ध जानकारियों तक चीन की पहुंच होने पर कड़ी आपतित जताते हुए दो व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया है। उधर, न्यूजीलैंड ने चीन पर संसद को निशाना बनाने का आरोप लगाया और कहा कि चीनी हैकरों ने सरकार प्रायोजित अ•िायान शुरू किया। न्यूजीलैंड के सुरक्षा मंत्री जूडिथ कोलिंस ने आगाह किया कि दुनिया में कहीं •ाी लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रिया में चीन समर्थित जासूसी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।  

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