नई दिल्ली। इजराइल का खुफिया तंत्र इस समय अब तक के सबसे मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा है। एक तरफ हमास से जुड़े हमले को रोकने में नाकामी तो दूसरी तरफ ईरान का अचानक मिसाइलों से हमला। इजराइल का खुफिया नेटवर्क इतना मजबूत है कि वह केवल संभावित खतरों को भांप जाता है कि बल्कि दुश्मन कहीं भी हो उसका खात्मा कर के ही चैन से बैठता है। मगर हाल फिलहाल की घटनाओं से इजराइली खुफिया तंत्र को भी बड़ी नाकामी मिली है। इस समय इजराइली सेना दोतरफा जंग लड़ रही है। इस बीच इजराइली खुफिया कोर के प्रमुख अहरोन हलीवा ने हमास हमले को रोकने में नाकामी को लेकर इस्तीफा दे दिया है।

मेजर जनरल हलीवा हमास हमले को रोकने में नाकामी की जिम्मेदारी लेने वाले पहले बड़े अधिकारी हैं। उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि उनकी खुफिया इकाई उस समय खरी नहीं उतरी जो उसे सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि वे हमले को रोक न पाने की जिम्मेदारी लेते हैं। खबरों के मुताबिक जब हलीवा का उत्तराधिकारी चुन लिया जाएगा तब वे सेवा से मुक्त हो जाएंगे। इस बीच इजराइल में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से इस्तीफा मांगा है।

मेजर जनरल अहरोन हलीवा ने कहा कि मेरी खुफिया इकाई कसौटी पर खरा नहीं उतर सकी। मैं उस काले दिन को याद करता हूं। दिन के बाद दिन और रात के बाद रात। मैं उस हमले को भूल नहीं पाता। मैं इस दर्द को हमेशा अपने साथ रखूंगा। वैसे हमास के हमले के बाद मेजर जनरल के इस्तीफे के बाद अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर भी इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है।

बीते साल हमास के हमले ने इजराइल के साथ पूरी दुनिया को सदमे में डाल दिया था। सात अक्तूबर को हमास के आतंकवादियों ने हमला कर 1200 नागरिकों की जान ले ली थी। करीब दो सौ से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया था। उस घटना के बाद इजराइल की सेना के खुफिया नेटवर्क के अधिकारी चैन से नहीं बैठे। हमास पर कार्रवाई आज भी जारी है। इस बीच इजराइल के हमले के बाद गाजा पट्टी में मरने वाले फिलस्तीनियों की संख्या 34 हजार से अधिक हो गई है।

हमास के हमले के बाद इजराइली सेना दबाव में है। मोसाद भी ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहा है। लेकिन यह भी सच है कि उस हमले के बाद सैन्य और खुफिया अधिकारियों से उम्मीद की गई थी कि वे नाकामियों पर अपना पक्ष रखेंगे और इस्तीफे देंगे। मगर बीते सात महीने में भी कोई जिम्मेदार अधिकारी सामने नहीं आया।

ऐसे में माना जा रहा है कि मेजर जनरल हलीवा का त्यागपत्र इजराइल के सैन्य और खुफिया तंत्र में जिम्मेदारी की भावना लाएगा। वैसे हलीवा ने सैन्य खुफिया निदेशालय के कर्मियों की तारीफ की है। इस समय इजराइल हमास के साथ हिजबुल्लाह से भी लड़ रहा है। वहीं इन दिनों उसकी ईरान के साथ भी तनातनी बढ़ गई है। दोनों के बीच युद्ध के आसार बने हुए हैं।  

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