जासूस डेस्क
नई दिल्ली। उस महिला की इन दिनों बहुत चर्चा है, जिसने वाइट हाउस में बैठ कर जासूसी की। अचरज ये कि इस बारे में किसी को भनक तक नहीं लगी। हालांकि मी टेरी नाम की इस महिला ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। फिलहाल वह अमेरिकी खुफिया एजंसियों की निगाह में है। मी टेरी को कोई आम महिला नहीं है। वह अमेरिकी खुफिया एजंसी की अधिकारी रह चुकी है।

मी टेरी वाइट हाउस में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में अधिकारी थी। वहां उसे उत्तर कोरिया संबंधी मामलों का विशेषज्ञ माना जाता था। लेकिन अब उस पर जासूसी करने का गंभीर आरोप लगा है। उस पर दो आरोप लगाए गए हैं। उस पर एक आरोप है कि वह दक्षिण कोरिया के लिए वाइट हाउस में बैठ कर जासूसी कर रही थी। दूसरी ओर उसने विदेश एजंट पंजीकरण अधिनियम का उल्लंघन किया।

मी टेरी के मामले में बीती 16 जुलाई को न्यूयॉर्क की दक्षिणी जिले की अदालत में सभी संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक किए। अधिकारियों का आरोप है कि मी टेरी ने एक दशक से ज्यादा समय तक दक्षिण कोरिया सरकार के लिए उसके एजंट के तौर पर काम किया। अमेरिका में एक कानून है। इसके मुताबिक विदेशी एजंट पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत विदेशी संस्थाओं की ओर से वकालत करने और राजनीति करने के लिए न्याय विभाग में पंजीकरण कराना होता है।

अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि मी टेरी 2013 से दक्षिण कोरिया सरकार के लिए जासूसी कर रही थी। इसके लिए उसे 37 हजार डालर मिले। यही नहीं मी टेरी ने दक्षिण कोरिया के पक्ष में आलेख भी लिखे। टेरी ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद सीआईए में नौकरी शुरू की और वहां 2001 से 2008 तक काम किया। उसने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया है। मी टेरी के वकील ने कहा कि बेतुके आरोप लगा कर उनके मुवक्किल की छवि खराब की जा रही है। उसने हमेशा अमेरिका के हित में काम किया है।  

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