दूरियां बढ़ रहीं हैं क्योंकि…

-डॉ. परमजीत ओबराय दूरियाँ बढ़ रहीं हैं क्योंकि-बढ़ गई हैंकिसी और से नजदीकियां,मोबाइल हो गए प्रमुख।छिनती जा रहींरिश्तों की नजदीकियां। अपनों की उपेक्षा कर -दूसरों से नेह बढ़ाते,क्या यही रिश्ते…

गहमरी : पत्रकार बना जासूसी कथाओं का लेखक

जासूसी डेस्कनई दिल्ली। बाबू देवकी नंदन खत्री के बाद गोपाल राम गहमरी दूसरे बड़े लेखक हैं जिन्होंने जासूसी लेखन परंपरा को समृद्ध किया। हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए इन…

गंगा-जमुना सी बह उठीं आंखें

-अंजू खरबंदा ठक-ठक....! ‘कौन? दरवाजा खुला है आ जाओ।’ ‘राम राम चन्दा!’ ‘राम राम बाबूजी! आप यहां!’ ‘क्यों मैं यहां नहीं आ सकता?’ ‘आ क्यों नही सकते! पर यहां आता…

चुनाव, नेता और बवासीर

 -अतुल मिश्र ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ नारे के बैनर तले बिजली न आने की वजह से जेनरेटर की लाइटों से जगमगा रहा एक सियासी पार्टी का दफ्तर। अंदर की हलचल…

क्या एआई बदलेगी जासूसों की दुनिया

जासूस डेस्कनई दिल्ली। तकनीक हर चीज को बदल रही है। हर रोज बदल रही है। पिछले दो दशकों में प्रौद्योगिकी ने जहां जीवन को आसान बना दिया है, वहीं यह…

हम इमरोज़ नहीं, पर रोज मिलेंगे

-संजय स्वतंत्र सुनो, इमरोज़ नहीं हूं कितुम रतजगे करो और मैंबनाऊं चाय तुम्हारे लिए,मैं चाहता हूं कितुम्हारे माथे पर अंकित कर दूंएक हरी-भरी धरती औरहाथ पकड़ कर ले चलूंतुम्हें किसी…

इत्र की शीशियों में एक ग़ज़ल

-संजीव सागर इत्र की शीशियों की तरह हो गए,जब खुले खुश्बुओं की तरह हो गए। बाजिÞयां  इश्क की  खेलते खेलते,बदगुमां मौसमों की तरह हो गए। जब कहीं तितलियां देख ली…

कवि प्रभात पर ‘बखत’ का विशेष अंक

साहित्य डेस्कनई दिल्ली। पिछले दिनों जयपुर से साहित्य जगत की अच्छी खबर आई। एक साहित्यिक अखबार ‘बखत’ ने चर्चित कवि प्रभात पर अपना विशेष अंक निकाला। इसका लोकार्पण पिंक सिटी…

क्यों लोकप्रिय हुआ वर्दी वाला गुंडा

जासूस डेस्कनई दिल्ली। नब्बे के दशक में एक उपन्यास आया था जिसकी नाम था-‘वर्दी वाला गुंडा’। अगर आप उस दौर से गुजरे हैं, तो आपने बसों और ट्रेनों में लोगों…

चला गया प्रेम का देवता इमरोज

साहित्य डेस्कनई दिल्ली। मुश्किल है किसी पुरुष के लिए इमरोज बनना। इतना टूट कर कोई ऐसी स्त्री से प्यार करता है क्या जो किसी और से मोहब्बत में डूबी हो।…