मेरे बाद अध्याय -4
थाना हालांकि किशोर के घर से महज आधा किलोमीटर दूर था। पर पुलिस को मौके पर पहुंचने में आधा घंटा लग गया। इस बीच मैंने एनसीआर में दिल्ली, उत्तर प्रदेश…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
थाना हालांकि किशोर के घर से महज आधा किलोमीटर दूर था। पर पुलिस को मौके पर पहुंचने में आधा घंटा लग गया। इस बीच मैंने एनसीआर में दिल्ली, उत्तर प्रदेश…
नई दिल्ली। जासूसों की दुनिया भी विचित्र है। यह इतनी दिलचस्प है कि इसने न केवल लेखकों बल्कि फिल्मी निर्देशकों को भी आकर्षित किया। इस तरह साहित्य के पन्नों से…
नई दिल्ली। सिर्फ नेतृत्व से ही देश नहीं बनता। इसके पीछे हजारों और लाखों लोगों के दिमाग के साथ दिलेरी भी होती है। देशभक्ति का भी जज्बा होता है। आजादी…
दिन भर चहलपहल वाली बंगाली मार्केट में बंगाली स्वीट्स के बाहर रहने वाले लगभग पालतू व हट्टे-कट्टे कुत्ते अलसाए हुए से अभी अपनी टोकरियों में पड़े थे। दुकानों के नौकर…