नई दिल्ली। वह दुनिया की सबसे खूबसूरत जासूस थी। जाने कितने पुरुष उसकी अदाओं पर मरते थे। बड़े-बड़े नेता और अरबपति कारोबारी तथा उच्च अधिकारी उसके बेपनाह हुस्न के तलबगार थे। उसकी कातिल मुस्कान ऐसी कि सुंदर महिलाएं भी घबराती थीं कि कहीं उनके प्रेमी या पति दिल न बैठें। यह हुस्न की मल्लिका थी-मार्गरेट जेले, जिसे दुनिया ने माता हारी के नाम से जाना। सात अगस्त 1876 को नीदरलैंड में जन्मी माता हारी परफ्रांस और जर्मनी की डबल एजंट होने का आरोप लगा कर मार डाला गया हो, मगर यह सजा उन्हें नहीं उसके उस हुस्न को मिली, जिसकी वजह से वह एक विख्यात जासूस बनी। यह उस स्त्री की हार थी जो अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही थी।
माता हारी के अनन्य सौंदर्य के पीछे एक उदास कहानी है जो कभी पढ़ी ही नहीं गई। लोग उस ‘स्ट्रिप डांसर’ को बेलिबास होते हुए देखना चाहते थे, मगर उसके चेहरे के पीछे एक उदास औरत को किसी ने भी देखा। माता हारी को अंत में सजा तो मिली मगर उन पुरुषों को कभी सजा नहीं मिली, जिन्होंने कभी मासूम मार्गरेट के जिस्म से खेला था। बिन मां की बच्ची और टोपियां बेचने वाले पिता की यह बेटी एक नहीं तीन मर्दों की हवस का शिकार हुई। इसके बाद सैकड़ों मर्दों की कामुकता से वह बच तो नहीं पाई, लेकिन वह इस घिनौने खेल में डूब कर कुख्यात हो गई। क्यों हुआ ऐसा? इसके लिए हमें तह में जाना चाहिए।
मार्गरेट के जीवन में आया पहला हैवान
बेहद एकरसता का जीवन जी रही मासूम मार्गरेट लेवार्डन में रहती थी। बाद में दूसरे शहर चली आई। यहां उसका स्कूल में दाखिला हुआ। यही वह जगह है जहां उसके साथ प्राचार्य ने ही मुंह काला किया। शिक्षा के मंदिर में ऐसा धतकरम? रोती कलपती मागरेट जब कमरे से बाहर निकली तो पता जला कि उसकी जैसी कई छात्राओं से यह हैवान बलात्कार कर चुका है। सोलह साल की इस किशोरी के मन पर गहरा आघात लगा। मगर जिंदगी रुकती नहीं है। वह चलती जाती है। इस किशोरी के भाग्य में अब और न जाने क्या-क्या लिखा था। लेकिन यह भी सच था वह अपनी किस्मत खुद लिखने जा रही थी।
बुरी शादी और बुरा मर्द
स्कूल में हुए उस हादसे को भूलने लगी थी मार्गरेट। कोई चार-पांच साल बाद एक दिन उसने अखबार में वैवाहिक विज्ञापन देखा। यह विज्ञापन डच सेना के एक अधिकारी कैप्टन रूडोल्फ मैकलॉड ने दिया था। उसकी उम्र ज्यादा थी मगर वह एक युवा जीवनसाथी चाहता था। इक्कीस साल की मार्गरेट को लगा कि वह इस कैप्टन से शादी कर अपनी जिंदगी बदल सकती है। उसने उत्साहित होकर अपनी सबसे अच्छी तस्वीर भेज दी। रूडोल्फ उसके असीम सौंदर्य पर फिदा हो गया। इसके बाद मार्गरेट ने बिना सोचे समझे कैप्टन से शादी कर ली। कुछ समय बाद ही रूडोल्फ का असली चेहरा सामने आ गया। वह पक्का शराबी था। वह मार्गरेट को यातना देने और उसकी पिटाई करने में आनंद महसूस करता था। यहां तक कि उसे घर से निकलने तक नहीं देता था। मार्गरेट ने एक दशक तक इस रिश्ते को निभाया। आखिरकार उसने आजिज आकर तलाक ले लिया।
तीसरे मर्द ने जिस्म बेचा
रुडोल्फ से छुटकारा पाने के बाद मार्गरेट ने राहत की सांस ली। इसके बाद उसने अपना नया जीवन शुरू किया। उसने नृत्य का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। वह भी ऐसा नृत्य जिसको देख कर पुरुष उसके कदमों में जा गिरें। यानी उत्तेजना से भरा वह नृत्य जिसमें नृत्यांगना अपने वस्त्र उतारती जाती है और अंत में निर्वस्त्र हो जाती है। संयोग से इस बीच उसे एक निजी संग्रहालय में काम मिला। मगर इसके लिए उसे वहां के मालिक के साथ हमबिस्तर होना पड़ा।
सोचिए उस युवती पर क्या गुजरी होगी जिसे तीन पुरुषों ने उसकी अस्मिता को लूटा और फिर उसे काम भी मिला तो ‘स्ट्रिप डांसर’ का। उस दिन वह सैकड़ों दर्शकों के सामने नाच रही थी और धीरे-धीरे एक-एक वस्त्र हवा में उछाल रही थी। अंत में वह बेलिबास थी। उधर, दर्शक उसके यौवन को कामुकता भरी नजरों से ‘नोंच’ रहे थे। और ठीक उसी वक्त मंच पर ‘माता हारी’ का जन्म हो रहा था। किसी को नहीं पता था कि वह द्वितीय विश्वयुद्ध के इतिहास में एक अहम पात्र बनने वाली है।
…और सुर्खियों में आई माता हारी
दुनिया के बड़े-बड़े लोग माता हारी के नृत्य और उसके अप्रतिम सौंदर्य के रसिक बन गए। उसकी चर्चा सत्ता में बैठे बड़े-बड़े अफसरों और नेताओं में होने लगी। हर कोई उसके साथ हमबिस्तर होना चाहता था। माता हारी भी सत्ता के करीब जा रही थी। इसी के साथ खूब पैसे कमाने की ललक भी उसकी बढ़ रही थी। एक समय ऐसा आया जब फ्रांस की सरकार ने उसे अपना जासूस बनाने के लिए राजी कर लिया। इसके लिए माता हारी को मोटी रकम मिली। इसके बाद वह अपने सौंदर्य और यौवन के बूते दुश्मन देश के अधिकारियों से राज हासिल कर फ्रांस को देती रही। कहते हैं कि मौज-मस्ती और गपशप के बीच बड़े-बड़े लोगों से वह गोपनीय जानकारी जुटा लेती थी।
इस बीच वह जर्मनी के लिए भी जासूसी करने लगी। इस तरह माता हारी जासूसी की आड़ में दो देशों के बीच ‘डबल गेम’ खेलने लगी। अब वह ‘डबल एजंट’ थी। एक दिन वह मैड्रिड से एक गोपनीय संदेश बर्लिन भेज रही थी। मगर तभी वह पकड़ी गई। हालांकि उसने जर्मनी के लिए जासूसी करने के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। मगर इस बात से कौन इनकार करेगा कि पैसे कमाने की उसकी भूख बढ़ गई थी।
दूसरे विश्वयुद्ध की सबसे चर्चित जासूस
दूसरे विश्वयुद्ध में फ्रांस को विजय मिली थी। मगर जासूसी के खेल में तब तक माता हारी फंस चुकी थी। उसके योगदानों को भुला दिया गया। जर्मनी के लिए उसने जासूसी की थी या नहीं, यह तो नहीं मालूम लेकिन उस पर डबल एजंट होने का काला दाग लग चुका था। हालांकि वह आखिर तक इस जासूसी को गपशप का कारोबार बताती रही। उसे कई लोगों की मौत का दोषी करार दिया गया। सभी आरोपों को झुठलाते हुए माता हारी बार-बार यही कहती रही कि उसने कुछ नया नहीं बताया। उसके साथ उठने-बैठने और सोने वाले अधिकारी और नेता खुफिया जानकारी देते थे। हालांकि यह भी सच है कि माता हारी की मौत के बाद उसके खिलाफ कोई बड़ा सबूत नहीं मिला। अलबत्ता जिंदगी की तरह उसकी मौत भी चर्चित रही।
सोते से जगा कर दी गई मौत
सैन्य अदालत में माता हारी पर मुकदमा चलाया गया। उसे मौत की सजा सुनाई गई। सजा देने से पहले उसे पेरिस की सेंट लजार जेल में कैद रखा गया। पंद्रह अक्तूबर, 1917 को तड़के माता हारी गहरी नींद में थी। सुबह पांच बजते-बजते उसे जगाने के लिए एक नन को उसके सेल में भेजा गया। उसने हौले से माता हारी को जगाया और बताया कि उसकी दया याचिका खारिज कर दी गई है। इतना सुनने पर भी वह सदमे में नहीं आई। कहना मुश्किल था कि वह क्या महसूस कर रही है। क्योंकि कुछ देर बाद ही उसकी जिंदगी खत्म होने वाली थी। उस अंतिम घड़ी में भी माता हारी ने अपने बाल संवारे। बदन पर कोट डाला। सिर पर टोपी पहनी और नन के साथ वह चल पड़ी। दुनिया की खूबसूरत जासूस मरने जा रही थी।
फ्रांस के उस लेफ्टिनेंट ने माता हारी को मौत का फरमान सुनाया। वह मुस्कुराई। मृत्यु का कोई खौफ नहीं था उसके चेहरे पर। तब लेफ्टिनेंट ने एक सैनिक को उसकी आंखों पर पट्टी बांधने का हुक्म दिया। मगर माता हारी ने कहा कि वह मौत को अपनी आंखों से देखना चाहती है। यहां तक कि उसने अपने हाथ तक नहीं बंधवाए। कुछ क्षण बाद सैनिकों ने उस पर अपनी बंदूकों से कई गोलियां चला दीं। कुछ ही सेकेंड में माता हारी वहीं गिर गई। इसके बाद एक सैन्य अधिकारी ने माता हारी के माथे पर गोली मार कर कहा, हां, यह अब मर चुकी है। … वह जमीन पर बेजान पड़ी थी। कभी ब्रह्मांड सुुंदरी कही गई विख्यात जासूस की कहानी का अंतिम अध्याय खत्म हो चुका था।