शरीफ आदमी…!  शरीफ आदमी वह होता है, जो शराफत को बेच खाने के बाद लोगों से पूछता फिरता है कि यह शराफत इस दुनिया से मल्लिका के कपड़ों की तरह खत्म क्यों हो गई है? शरीफ आदमी वह होता है, जो ऊंचे मंचों से झूठ बोलने के बाद जनता से यह भी पूछता रहता है कि विपक्षी दलों की तरह लोग झूठ कैसे बोल लेते हैं? शरीफ आदमी कोई यूं ही नहीं हो जाता। बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं, तब कोई एक शरीफ हमारे मुल्क पर अहसान करते हुए पैदा होता है।

हर शरीफ आदमी की यह क्वालिटी होती है कि वह देखने में भले ही किसी भेड़िये से ज्यादा खतरनाक लगता हो, मगर हंसेगा ऐसे, जैसे काले धन से उसका कोई वास्ता ही न हो और जो लोग काले धन को अपने लिए नहीं, बल्कि इस मुल्क के लिए विदेशों से वापस लाना चाहते हैं, वह उनके आंदोलन के लिए अपनी जान भी कुर्बान कर देगा! धर्म या सियासत में जाने के बाद हर शरीफ आदमी ऐसा ही बन जाता है। अब शरीफ आदमी के बारे में हम खुद क्या कहें?

शरीफ आदमी वह होता है, जो किसी रिटायर आदमी की तरह पौधों में पानी भी डालता रहता है और रास्ता चलती घरेलू नौकरानियों से अक्सर यह भी पूछ लेता है कि कैसी हो या कहां काम कर रही हो या अब कितने घर ले रखे हैं? यह शरीफों की एक अलग ही प्रजाति है और जो ‘अंकल’ कहलाने की आड़ में थोड़ा खुल कर शरीफ बन जाती है। शरीफ आदमी कौन होता है, यह बताना बहुत मुश्किल नहीं है।

शरीफ आदमी वह होता है, जो रात में अपनी बीवी से यह कह कर सोता है कि तुमसे हसीन तो इस दुनिया में कोई है ही नहीं और सुबह जब सड़क पर पराई नारियों को देखता है तो खुद ही सोचता है कि मैंने किसी जन्म में बुरे कर्म किए थे कि मुझे इनमें से कोई भी इस बीवी की जगह नहीं मिली? उसकी शराफत देखिये कि वह शरीफ बने रहने के लिए बीवी के आगे अपने इस मन की अभिव्यक्ति नहीं करता। आज शराफत मियां फिर पौधों को पानी पिला रहे हैं। देखूं, अगर शरीफ आदमी के बारे में वो कुछ बता सकें तो।

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