क्यों लोकप्रिय हुआ वर्दी वाला गुंडा
जासूस डेस्कनई दिल्ली। नब्बे के दशक में एक उपन्यास आया था जिसकी नाम था-‘वर्दी वाला गुंडा’। अगर आप उस दौर से गुजरे हैं, तो आपने बसों और ट्रेनों में लोगों…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
जासूस डेस्कनई दिल्ली। नब्बे के दशक में एक उपन्यास आया था जिसकी नाम था-‘वर्दी वाला गुंडा’। अगर आप उस दौर से गुजरे हैं, तो आपने बसों और ट्रेनों में लोगों…
साहित्य डेस्कनई दिल्ली। मुश्किल है किसी पुरुष के लिए इमरोज बनना। इतना टूट कर कोई ऐसी स्त्री से प्यार करता है क्या जो किसी और से मोहब्बत में डूबी हो।…