साहित्य डेस्क
नई दिल्ली। मुश्किल है किसी पुरुष के लिए इमरोज बनना। इतना टूट कर कोई ऐसी स्त्री से प्यार करता है क्या जो किसी और से मोहब्बत में डूबी हो। इमरोज ने न केवल एक अनाम रिश्ते को निभाया बल्कि जिया भी। चर्चित चित्रकार और कवि इमरोज का 22 दिसंबर को निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में अपने निवास पर अंतिम सांस ली। वे 97 साल के थे। वे उम्र संबंधी कुछ व्याधियों से वे जूझ रहे थे।
इमरोज का असल नाम इंद्र सिंह था। अमृता के साथ अपने रिश्ते को लेकर अरसे तक चर्चा में रहे। उन्होंने बतौर मित्र लेखिका अमृता प्रीतम का बरसों साथ निभाया। वे कोई 40 साल तक एक ही घर में उनके साथ रहे।
इमरोज को पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें एक फूड पाइप के जरिए खाना दिया जा रहा था। उनके करीबी कहते हैं कि अमृता के जाने के बाद इमरोज एक दिन भी उन्हें नहीं भूल सके। उनको लगता था कि अमृता कहीं गई ही नहीं हैं। वह यहीं कहीं हैं आसपास। अमृता और साहिर का जब भी जिक्र होता, इमरोज की भी चर्चा भी जरूर होती। इमरोज शादी किए बिना अमृता के साथ रहे और उनका हर तरह से ध्यान रखा। अमृता उन्हें प्यार से ‘जीत’ कह कर पुकारा करती थीं। उन्हें इस बात दुख था कि यह शख्स जिंदगी की शाम में क्यों मिला। मिलना ही था तो दोपहर में मिलता। अब इमरोज की यादें रह गई हैं। इमरोज का एकनिष्ठ प्रेम सदियों याद रखा जाएगा।