दूरियां बढ़ रहीं हैं क्योंकि…
-डॉ. परमजीत ओबराय दूरियाँ बढ़ रहीं हैं क्योंकि-बढ़ गई हैंकिसी और से नजदीकियां,मोबाइल हो गए प्रमुख।छिनती जा रहींरिश्तों की नजदीकियां। अपनों की उपेक्षा कर -दूसरों से नेह बढ़ाते,क्या यही रिश्ते…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
-डॉ. परमजीत ओबराय दूरियाँ बढ़ रहीं हैं क्योंकि-बढ़ गई हैंकिसी और से नजदीकियां,मोबाइल हो गए प्रमुख।छिनती जा रहींरिश्तों की नजदीकियां। अपनों की उपेक्षा कर -दूसरों से नेह बढ़ाते,क्या यही रिश्ते…
जासूसी डेस्कनई दिल्ली। बाबू देवकी नंदन खत्री के बाद गोपाल राम गहमरी दूसरे बड़े लेखक हैं जिन्होंने जासूसी लेखन परंपरा को समृद्ध किया। हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए इन…
-अंजू खरबंदा ठक-ठक....! ‘कौन? दरवाजा खुला है आ जाओ।’ ‘राम राम चन्दा!’ ‘राम राम बाबूजी! आप यहां!’ ‘क्यों मैं यहां नहीं आ सकता?’ ‘आ क्यों नही सकते! पर यहां आता…