गंगा मैया की गोद में अठखेलियां

-अंजू खरबंदा गंगा जयंती के पावन अवसर पर गढ़ मुक्ततेश्वर, जिसे गढ़ गंगा भी कहा जाता है, जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दिल्ली के परमानंद अस्पताल के पास ढक्का गांव…

संजीव के उपन्यास ‘मुझे पहचानो’ को साहित्य अकादेमी

नई दिल्ली। हिंदी कथाकार संजीव के उपन्यास ‘मुझे पहचानो’ को इस साल का साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिलेगा। जबकि अंग्रेजी भाषा में नीलम शरण गौर के उपन्यास ‘रेक्युम इन रागा जानकी’…

सर, बीमार होने का मन कर रहा है  -अतुल मिश्र

दो बातों की कोई हद नहीं होती-औरत होना और औरत होने के फायदे उठाना। औरत न होने के नुकसानों से मर्द लोग अच्छी तरह वाकिफ हैं। हर मर्द यह सोचता…

चार कत्ल के पीछे क्या थी कहानी -भावना मगन तरु

नई दिल्ली। कुछ लेखक कई बार कहानी की तलाश करते रहते हैं। तो लेखक आदित्य एक बार दोस्तों के साथ रेस्तरां में बैठे थे और एक किताब लिखने की सोच…

उस जासूस को कौन भूलेगा, जिसका नाम था सुनील

नई दिल्ली। खोजी पत्रकारिता और जासूसी में महीन सा फर्क है। सत्तर के दशक से लेकर नब्बे के दौर में खोजी पत्रकारिता का लंबा दौर चला। देश के कुछ प्रतिष्ठित…

स्त्री क्यों डरती है

- संतोषी बघेलएक स्त्री क्या चाहती है?शायद वो खुद भी नहीं जानती!वो बुनती है ख्वाब प्रतिपल,कुछ विद्रोही बन कर,कुछ निरंकुश होकर। वो मन को देती है जरा सी ढील,कि जी…

दस जेम्स बांड पर भारी एक आरएन काव

नई दिल्ली। लेखक और फिल्मकार अपनी कल्पना से जासूसों के जितने भी कारनामे दिखा लें मगर एक जासूस के लिए सचमुच में कितनी चुनौती होती है, यह वही जानता है।…

हमारी अधूरी भूत-कहानी

-अतुल मिश्ररात के उतने बजे थे, जितने बजे डरावनी और भूतिया फिल्मों के ‘फिक्स’ होते हैं कि इतने बजे सही रहेंगे! ब्लड प्रेशर हाई होने की वजह से बिजली जो…