जासूस डेस्क
ऐसा क्या है जेम्स बांड में जिसका नशा कभी उतरता नहीं। ब्रिटिश पत्रकार और उपन्यासकार इयान फ्लेमिंग का यह किरदार ब्रिटेन की खुफिया एजंसी का जासूस है। यह इतना चर्चित क्यों है। यह जानने के लिए उसे समझना होगा। उसके पूरे व्यक्तित्व और उसके लक्ष्यों को जानना होगा। वह एक्शन भी करता है, तो रोमांस भी। दुनिया की खूबसूरत स्त्रियां उस पर अपना दिल न्योछावर करती हैं।  जेम्स शातिर अपराधियों का दुश्मन है। उनके खात्मे के लिए मौके का इंतजार नहीं करता है। यही वजह है कि उस पर बनी 24 फिल्मों और टीवी सीरीज के बावजूद दर्शकों का मन आज भी नहीं भरा।

साठ साल का जेम्स आज भी जवान
जेम्स बांड का जन्म 1962 में हुआ। यह लंबे कद का चुस्त नौजवान है, जिसकी उम्र 40 साल से ज्यादा नहीं। वह फिल्म ‘डॉ. नो’ में पहली बार दिखा। शॉन कॉनरी ने इस मिथकीय किरदार को निभा कर अपराधियों को संदेश दिया कि दुनिया को अच्छे इंसानों की जरूरत है। आज जेम्स जिंदा होता तो साठ साल का होता और वह नौजवानों की तरह अपराधियों से लड़ रहा होता। वैसे जेम्स का युवा रूप आज भी जेहन में है। वह अपनी आखिरी फिल्म में भी युवा ही दिखा। इस किरदार को रचने वाले इयान ने भी नहीं सोचा होगा कि उनके बाद भी आठ लेखक जेम्स के लिए नई कहानियां रचेंगे। यह बात और है जेम्स की भूमिका निभाने के लिए अभिनेता बदलते गए। शॉन कॉनरी और डेनियल क्रेग छाए रहे। मगर टिमोथी डाल्टन, पीयर्स ब्रोसन और जॉर्ड लेजेम्बी को कौन भूल सकता है।

‘एजंट 007’ कैसे बना जेम्स बांड
जिसे दुनिया ने जेम्स बांड के रूप में देखा, दरअसल वह पहली बार ‘एजंट 007’ के रूप में रूपहले पर्दे पर सामने आया। फिल्म ‘डॉ. नो’ में वह एक कैसीनो में बैठा है। इसी दौरान एक खूबसूरत युवती एजंट 007 के बारे में पूछती है और कैमरा एक ऐसे शख्स की ओर फोकस करता है, जहां नशीली आंखों वाला नौजवान कहता है- ..बांंड…जेम्स बांड। और देखते ही देखते यह नाम विख्यात हो गया। इस फिल्म के नायक शॉन कॉनरी ही थे जो ब्रिटिश खुफिया एजंसी के एक एजंट की हत्या की जांच कर रहा है। डॉ. नो का खात्मा ही उसका उद्देश्य है, क्योंकि यह कुख्यात वैज्ञानिक ‘रोडियो बीम’ से अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बर्बाद करना चाहता है।

वह दुश्मन है अपराधियों का
जेम्स बांड दुनिया के तमाम अपराधियों का दुश्मन है। लेखक इयान यही चाहते थे कि उनकी कहानियों का नायक एक सुरक्षित और खूबसूरत दुनिया बनाने में योगदान दे। जेम्स की ज्यादातर फिल्मों में यह हम देखते हैं। अपराधियों को सबक सिखाते हुए जेम्स यही संदेश देने के क्रम में वे नियमों को तोड़ते हुए बेहद खतरनाक तरीके से कार दौड़ाते हैं। अपराधियों का पीछा करते हुए गोलियां भी चलाते हैं। जेम्स बांड की फिल्मों में एक्शन का यही मतलब है। मगर लक्ष्य साफ है।

मोहब्बत के बिना अधूरा है यह जासूस
जेम्स की फिल्मों में उसकी महिला मित्र न हो, ऐसा संभव नहीं। एक्शन के दौरान थके नायक को मोहब्बत भी चाहिए। हालांकि ज्यादातर आलोचकों का कहना है कि जेम्स बांड इतने हावी रहते हैं कि महिला पात्र कमजोर दिखती हैं। जेम्स अपनी महिला मित्रों को फ्लर्ट करता है। उनके साथ शराब पीता है। दैहिक संबंध भी बनाता है। हर फिल्म में जेम्स की प्रेमिका प्यारी सी दिखती है। वह खुद उसकी बांहों में जाने के लिए बेताब है। हालांकि बाद की फिल्मों में जेम्स की महिला सहयोगी एक्शन करती दिखीं। सुरा-सुंदरी और सेक्स जेम्स की फिल्मों में सामान्य बात है। बाहर से कठोर और दिल से नरम जेम्स को धोखे भी मिले। मगर उसने प्रेम करना नहीं छोड़ा। क्योंकि वह मोहब्बत के बिना अधूरा है।

जेम्स से क्यों नाराज हैं कुछ लोग
इस अनोखे जासूस का जीवन जीने का तरीका कुछ लोगों को पसंद नहीं। क्योंकि वह नियमों तोड़ता है। ताबड़तोड़ शराब पीता है। खतरनाक तरीके से कार चलाता है। साठ-सत्तर के दशक में आई कई फिल्मों में जेम्स खूब सिगरेट पीता हुआ दिखता है। बाद की फिल्मों में भी उसी आदत नहीं छूटी। न उसकी प्रेमिकाओं ने छुड़वाई। यहां तक कि यह किरदार चंद्रमा पर भी सिगरेट पीता दिखा। लोगों को इससे निराशा हुई। यही नहीं जेम्स कार चलाते समय सीट बेल्ट भी नहीं लगाता। हालांकि उसका एक ही मिशन है, वह है-देश और समाज के दुश्मनों का खात्मा। इसलिए उनके प्रशंसक और अन्य लोग भी उसे माफ कर देते है। आखिरकार हम सब एक सुरक्षित दुनिया चाहते हैं।

हैरत में डाल देती हैं जेम्स की बांड गर्ल
जेम्स बांड अगर एक्शन में ‘सुपर हीरो’ है तो उसकी प्रेमिकाएं ‘बांड गर्ल’ के रूप में मशहूर हैं। वो सभी सौंदर्य की मल्लिका हैं। उनके सुनहरे बाल हैं। उनकी अधरों पर गुलाब और आंखों में नीली झील है। वह बंदूक रखती हैं। जेम्स ने ज्यादातर अपनी सेक्रेटरी से प्रेम किया। उसने अपने बॉस की निजी सहायक मनीपेनी से भी मधुर रिश्ता बनाया। दर्शकों ने उसे इव के नाम से जाना। याद कीजिए फिल्म ‘स्काइफाल’ को। इस फिल्म में इव भी जासूस है और प्रशिक्षित है। दुर्भाग्य से या कहें चूक से वह जेम्स पर गोली चला देती है। नतीजा उसे फील्ड से हटा कर डेस्क की ड्यूटी पर भेज दिया जाता है। जो भी हो जेम्स ने अपनी नायिका से बेहद प्यार किया और शिद्दत से किया।

जेम्स बाड का जादू आज भी कायम
फिल्म ‘स्काइफाल’ के बाद जेम्स बांड की आठ साल पहले आई फिल्म ‘स्पेक्टर’ की याद आती है। उसमें सभी ने जेम्स के हैरतअंगेज कारनामे को देखा। सैम मेंडेस के निर्देशन में आई यह फिल्म कामयाब रही। डेनियल क्रेग चौथी बार इस फिल्म में जेम्स बांड बने। उनके साथ थी बेहद दिलकश नायिका मोनिका बलूची। इनके साथ रेसलर देव बतिस्ता और अभिनेता क्रिस्टोफ वॉल्टज ने साथ अभिनय कर फिल्म को यादगार बना दिया। जेम्स को शराब-सिगरेट और एक्शन या खूबसूरत हसीनाओं की नशीली अदाओं के लिए नहीं, एक उद्देश्य के लिए याद किया जाना चाहिए। यानी जेम्स की हर दौर में जरूरत है। उसका एकमात्र लक्ष्य है-अपराध और हिंसा से मुक्त दुनिया। उसका मानना है कि दुनिया के किसी भी कोने में मनुष्यता के दुश्मनों का खात्मा होना चाहिए। जेम्स बांड यही करते हैं। ऐसे नायक को सलाम।

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