राधिका त्रिपाठी
वह किसी हालत में यह मानने को तैयार नहीं था कि मनाली उसे छोड़ कर जा चुकी है। वह कभी तेज आवाज में कहता, क्या बात है मनाली? तुम आज भी देर करवा दोगी आफिस जाने में। तभी मनाली उसे दिखाई देती है किचन से निकलते हुए। एक हाथ में चाय का कप और दूसरे हाथ में नाश्ते की प्लेट लिए हुए। घर के लोग आश्चर्य से कुणाल को देख रहे थे जो अपने मोजे को सही कर रहा था। और बिना ऊपर देखे ही बोलता है, रख दो मनाली नाश्ता। अपनी भी चाय ले आओ। साथ पीते हैं।
… कुछ देर में वह मनाली के साथ चाय पीने लगता है। और वह बाय-बाय कह कर आफिस के लिए निकल जाता है। दफ्तर के लोग भी परेशान कि कुणाल किसे मनाली समझ कर घंटों तक बात किया करता है। कोई बहला फुसला कर कर कुछ गलत न कर दे। कुणाल था कि मनाली की यादों से बाहर नहीं निकल रहा था। करवा चौथ का आज पहला व्रत था। मनाली जिंदा नहीं थी। बाकी सब कुछ वैसा ही था।
कुणाल मार्केट से मनाली के लिए गजरा, चूड़ी-बिंदी और हरे रंग की चूड़ियां खरीदी। साड़ी की दुकान से फोन किया, फिर बोला कि मरून कलर की साड़ी दिखाओ। एक साड़ी पसंद आने पर खरीद ली और घर पर आ गया। सुबह-सुबह घर के सभी लोग व्रत की तैयारी में जुटे थे। तभी कुणाल दो प्लेट में सरगी और सिंगार का सामान रख कर ऐसे देने लगा मानो मनाली वहां बैठी हुई हो। वह हंस-हंस कर बातें करने लगा, आज तो दो दो चांद निकलेंगे एक आसमान में एक मेरी छत पर।
इसी तरह से कुणाल सारी हरकत करता रहता। उसे कोई सुध-बुध नहीं थी। वह दफ्तर का काम भी कर्मचारियों पर छोड़ता गया। अब दिन-रात अपने बेडरूम में रहता और कभी-कभी किचन में आता और प्लेट में खाने का सामान रख कर फिर बेड रूम में जा कर बंद हो जाता। बहुत सारे मनोचिकित्सकों को दिखाने के बाद भी वह ठीक नहीं हुआ। अंत में किसी ने सलाह दी कि अकाल मृत्यु हुई है, आत्मा इर्द गिर्द रह रही है। आप शांति के महामृत्युंजय का जाप कराओ, तभी मुक्ति मिलेगी। जाप शुरू हुआ। जैसे-जैसे मंत्र जप होने लगा, वैसे-वैसे बेड रूम में कुणाल के चिल्लाने की आवाज सुनाई देने लगी।
वह रो रहा था और बोल रहा था, मनाली मुझे छोड़ कर मत जाओ। तुम्हारे बिन जी नहीं सकता। तुम नहीं तो मैं भी नहीं। और अचानक ही दरवाजा खुल गया बेड रूम का। कुछ धुआं-धुआं सा आसमान की तरफ जाते हुए दिखाई दिया। सभी लोग कुणाल की तरफ भागे। सारा कमरा अस्त-व्यस्त था। मानो वहां बहुत संघर्ष हुआ हो। एक दीवार से कुणाल सट कर बैठा हुआ था। उसके हाथ में मनाली की एक पायल रह गई थी। और कुणाल निर्जीव होकर एक साइड में लुढ़क गया। तभी किसी सदस्य ने कहा कि यह पायल तो मनाली ने पहन रखी थी चिता पर जलने से पहले…!!