जासूस डेस्क
नई दिल्ली। भारत में जब जासूसी साहित्य का उदय हो रहा था तो इसके बरक्स दूसरे देशों में जासूसी कथाओं में अपनी जड़ें जमा ली थीं। इयान फ्लेमिंग्स, जेम्स हेडली चेज और अगाथा क्रिस्टी को इस समय की नौजावान पीढ़ी चाव से पढ़ रही थी। कथा रसिक भी पीछे नहीं थे। अपने यहां देवकीनंदन खत्री और गोपाल गहमरी ने जासूसी कथाओं की जो दिलचस्प शुरुआत की उसे लाखों पाठकों ने हाथों-हाथ लिया। इब्ने सफी और उनके बाद के कथाकारों के सामने यह चुनौती थी कि वे विदेशी कथा साहित्य के प्रभाव नें न आएं और अपने पाठकों को भी कुछ नवीन और मौलिक दें। इस चुनौती को पार पाने में इब्ने सफी सफल रहे। सरहद पार भी वे इतने मशहूर हुए कि वे पूरे उपमहाद्वीप में जाने गए। यही नहीं उन्हें विख्यात उपन्यासकार अगाथा क्रिस्टी ने भी नोटिस में लिया। उनकी तारीफ भी की।
आखिर क्यों लोकप्रिय थीं अगाथा क्रिस्टी
अगाथा क्रिस्टी आखिर क्यों लोकप्रिय हैं। यह बड़ा सवाल है। लोग अब भी उनके उपन्यासों को चाव से पढ़ते हैं। उनका एक नाटक ‘द माउस ट्रैप’ आज भी चर्चित है। यह दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला नाटक था। अगाथा ने अपने 66 जासूसी उपन्यासों और 14 कथा संग्रहों से पूरी दुनिया में हलचल मचा दी थी। कहा तो यह भी जाता है कि उनकी किताबों का दुनिया भर में हुए अनुवाद की प्रतियां एक अरब से अधिक बिकीं।
इंग्लैंड के टोरक्वे में 1890 में जन्मीं अगाथा जब पांच साल की थीं, तब उनके आलसी पिता के कारण परिवार को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने जगह-जगह भटकते हुए जो संघर्ष देखा, उससे उनका अनुभव समृद्ध हुआ। उन्होंने महज 19 साल की उम्र में शादी कर ली। मगर बाद में उनका तलाक हो गया।
एक सदी से भी ज्यादा कायम है जादू
अगाथा एक सदी से भी अधिक अपने पाठकों के दिलों-दिमाग में छाई हैं। उनसे मोहभंग होता नहीं। उनके उपन्यास मंगवा कर लोग पढ़ते हैं। उन्हें ‘सस्पेंस क्वीन’ कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। पाठक पन्ने-दर-पन्ने पलटते थकते नहीं। अगाथा अपने कथा संसार में ऐसा रहस्य बुनती हैं और साजिशों का ऐसा माहौल तैयार करती हैं कि उन्हें पढ़ते हुए आप हैरान होते हैं और सोचते हैं कि उनकी इस कहानी में अपराधी कौन है। उपन्यास के आखिर तक उसके बारे में पता नहीं चलता। यही अगाथा के लेखन की खूबी है।
अगाथा के लेखन नें कुछ कमियां भी हैं। उनके पात्र महिलाओं और अल्पसंख्यकों के प्रति अच्छी राय नहीं रखते। बावजूद इसके उनके कुछ उपन्यास जो बहुत चर्चा में रहे, उनमें ‘द मिस्टीरियस अफेयर एट स्टाइल्स’, ‘द वूमन आन द ओरिएंट एक्सप्रेस’, ‘मार्पल : ट्वेल्व न्यू मिस्ट्रीज’, ‘एंड देन देयर वेयर नन’, ‘द एबीसी मर्डर्स’ और ‘मर्डर आफ रोजर एक्रोएड’ शामिल हैं उनके दो जासूस पात्र हरक्यूल पोयरोट और मिस मार्पल आज भी याद किए जाते हैं।
ब्रिटिश साहित्य में विशेष स्थान
अगाथा क्रिस्टी ब्रिटेन की अकेली लेखिका हैं जिन्हें दुनिया भर में पढ़ा गया। उनके एक उपन्यास ‘मर्डर आन द ओरिएंड एक्सप्रेस’ ने धूम मचा दिया था। इसे लाखों पाठकों ने पढ़ा। जबकि एक वक्त था जब वह 18 साल की उम्र में लिखती थीं और उनकी रचनाओं को पत्रिकाएं वापस भेज देती थीं। मगर दौर बदलने के साथ अगाथा सर्वाधिक चर्चित लेखिका बन गर्इं। उनके उपन्यास इतनी बड़ी संख्या में बिके कि कोई दूसरा लेखक उनका मुकाबला नहीं कर सकता।
अपराध कथा साहित्य की मल्लिका
अगाथा ने अपराध कथाएं ही क्यों लिखीं। इसके पीछे की कहानी बेहद दिलच्सप है। दरअसल, एक दिन उनकी बहन मार्गरेट ने कोई ऐसा उपन्यास लिखने की चुनौती दी, तो फिर अगाथा भी पीछे नहीं रहीं। इस तरह उनका पहला जासूसी उपन्यास आया जो अपराध आधारित था। साल 1920 में ‘द मिस्टीरियस अफेयर एट स्टाइल्स’ बेहद चर्चित हुआ। यह अगाथा के लिए भी मील का पत्थर साबित हुआ। इसमें हम बेल्जियम के निजी जासूस पाते हैं। इसके बाद अगला एक दशक जासूसी साहित्य का स्वर्ण युग कहलाया। उस दौर में जीके चेस्टरटन और डोरोथी एल. सेयर्स के साथ खुद अगाथा रहस्य-रोमांच से भरी अपराध कथा रच रही थीं। हालांकि कई बार उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ा। अपराध कहानियां लिखते हुए उसे विशेष साहित्यिक शैली में अगाथा जिस तरह उन्हें रचती थींं, उससे पाठक उनकी कल्पना शक्ति पर मुग्ध हो जाते थे। एक खास बात यह थी कि उनकी कहानियों में अक्सर पीड़ितों को जहर देकर मारा गया।
पाठकों पर चला बेहिसाब जादू
विलियम शेक्सपीयर को छोड़ दें तो दुनिया में किसी भी लेखक की तुलना में उनकी किताबें सर्वाधिक बिकीं। हरक्यूल पोयरोट और मिस मार्पल जैसे उनके यादगार जासूसी पात्रों का पाठकों पर जादू छाया रहा। यही नहीं उनकी कृतियों के फिल्म एवं टीवी रूपांतर ने उन्हें और लोकप्रिय बनाया। उनकी रचनाओं पर 45 रेडियो नाटक और 32 टेलीविजन शो बने। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी रचनाओं को अमेरिका में भी खूब पढ़ा गया। वे वहां की बाल लेखिका एनिड ब्लीटन से भी अधिक लोकप्रिय हो गई थीं।
ग्रैंड मास्टर पुरस्कार की भी विजेता
अपने लेखन से अगाथा क्रिस्टी ने व केवल ब्रिटेन बल्कि दुनिया भर के लेखकों और पाठकों का ध्यान खींचा। विश्व साहित्य में उनकी पहचान बनी। अपने जीवन काल में उन्होंने कई पुरस्कार जीते। कई पुरस्कारों के लिए उन्हें नामांकित भी किया गया। साल 1955 में उन्हें पहला ग्रैंड मास्टर पुरस्कार से नवाजा गया।
विश्व साहित्य में नया सृजन
अगाथा ऐसे दौर में लिख रही थीं जब एक विश्वयुद्ध शुरू हुआ था और दूसरे युद्ध की आहट दुनिया सुन रही थी। एक तरह से वैश्विक परिदृश्य में बदलाव आ रहा था, वहीं विश्व साहित्य में नए सृजन का समावेश हो रहा था। जासूसी कथा एक तरह से साहित्य में नई विधा मानी गई। यह एक अभिनव प्रयोग था। जिसे साहित्यकार स्वीकार करने में असहज थे। यह दौर भारत में भी देखा गया। अगाथा स्वयं लीक से हट कर रच रही थीं। उन्होंने लगातार पांच दशक तक लिखा। बारह जनवरी 1976 को उनका कलम उस वक्त थमा जब उन्होंने दुनिया को 85 साल की उम्र में अलविदा कहा। मगर सच तो यह है कि पाठक उन्हें आज भी दिल से विदा नहीं कर पाए हैं।