साहित्य डेस्क
नई दिल्ली। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की ओर से आयोजित इस बार के रंग महोत्यव (भारंगम) में ‘नटुआ नाच’ भी होगा। इक्कीस दिन चलने वाला यह महोत्सव अगले महीने आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन एक तरह से अंतरराष्ट्रीय नाट्य महाकुंभ है।

खबरों के मुताबिक भारत रंग महोत्सव में दस फरवरी को ‘नटुआ नाच’ शैली में ‘शीत वसंत’ नाट्य रूप को मंचित किया जाएगा। इसे मधुबनी का नाट्य दल ‘अष्टदल’ इसे प्रस्तुत करेगा। शीत वसंत का निर्देशन अजित कुमार झा कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में दिनेश नटुआ के नृत्य की हमेशा चर्चा होती रही है। यह नाच मिथिला की नाट्य परंपरा का हिस्सा है।

बताया गया कि 23वें भारत रंग महोत्सव में पांचवीं बार मैैथिली को जगह मिली है। इससे पहले दो बार मिथिला की लोक शैली कथा संकीर्तन में ‘जानकी परिणय’ और नटुआ नाच में राजा सलहेस का मंचन हो चुका है। वहीं दो बार मैथिली नाटक खेले जा चुके हैं। अब इस बार नटुआ नाच शैली में ‘शीत वसंत’ का मंचन होगा।

जनमानस में है शीत वसंत
बता दें कि ‘शीत वसंत’ मिथिला के जनमानस का हिस्सा है। यह नाट्य दो राजकुमारों की कहानी है। इन राजकुमारों को सौतेली मां के इशारे पर जंगल में कसाई के हाथों मारने का आदेश दिया गया है। लेकिन दयालु कसाई को उन पर दया आ जाती है। वह दोनों मासूम राजकुमारों को जंगल में छोड़ देता है। उनकी जगह दो हिरणों को मार कर उनका कलेजा सबूत के तौर पर राजकुमारों की सौतेली मां को दिखा देता है।

कोई दो राय नहीं कि इस आयोजन से बड़ी संख्या में लोगों को मिथिला की इस कथा के बारे में पता चलेगा। कहा जा रहा है कि ‘नटुआ नाच’ के मंचन से लुप्त होती इस मिथिला इस नाट्य शैली को सहेजा जा सकेगा। अच्छी बात है कि मधुबनी का विशेष नाट्य दल ‘नटुआ नाच’ के नाट्य रूप का मंचन करेगा। 

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *