जासूस डेस्क
नई दिल्ली। ज्यादातर जासूस बेहद मूडी होते हैं। अपने हिसाब से काम करते हैं। बेशक दुबला-पतला दिखें, मगर वह भीतर से यानी मजबूत यानी आत्मविश्वास से लबालब होता है। कभी वह लगातार काम करता है तो कभी घंटों बिस्तर पर सोता रहता है। वह अपने एक किरदार में जरूर होता है मगर वह कई किरदार में घुस जाता है। फिर उसे पहचानना मुश्किल होता है। ऐसे कई जासूस हैं, मगर आर्थर कानन डायल का यह पात्र सचमुच सबसे जुदा है। सबसे यादगार भी। आज भी करोड़ों पाठकों के दिलों में है यह। इसलिए शेरलॉक होम्स अब भी जिंदा है।
शेरलॉक होम्स के जन्मदाता आर्थर को भी अनुमान नहीं था कि उनका यह पात्र दुनिया भर में विख्यात हो जाएगा। वह इतना वास्तविक लगने लगा था कि कल्पना की रेखा भी धुंधली लगने लगी थी। हालत यह थी कि प्रशंसक आर्थर से नहीं शेरलॉक से आटोग्राफ मांगने लगे थे। उन्हें समझाना मुश्किल था कि यह असली नहीं, काल्पनिक पात्र है। यह भी दिलचस्प है कि शेरलॉक उपन्यास के पन्नों से होता हुआ रूपहले पर्दे पर भी उतरा। गिनीज बुक में दर्ज इस किरदार को पर्दे पर कई अभिनेताओं ने दर्शाया। वह भी उस दौर में जब फिल्म निर्माण की तकनीक समृद्ध नहीं थी।
आर्थर कानन डायल ने अपने इस किरदार को इतना जटिल और तार्किक बनाया था कि पर्दे पर उसे निभाना आसान नहीं था। इसलिए कहा गया कि जिन्होंने शेरलॉक को नहीं पढ़ा, उन्होंने वास्तव में बहुत कुछ खो दिया। सच तो यह है कि टीवी शृंखला और फिल्में इस किरदार से पूरी तरह इंसाफ नहीं कर पाई। अलबत्ता बीबीसी की एक नाट्य शृंखला से शेरलॉक होम्स एक बार फिर लोकप्रिय हो गया था।
सबसे महान काल्पनिक जासूस
शेरलॉक होम्स एक ऐसा जासूस था जो असली न होते हुए भी दुनिया की नजरों में वास्तविक लगने लगा था। हम देखते हैं कि कई दशक बाद भी उसकी धमक बनी हुई है। कोई दो साल पहले नवंबर 2021 में शेरलॉक पर एक उपन्यास ‘द हाउंड आफ द बास्केटविल्स’ के कारण फिर से चर्चा में आया। हुआ यह कि उस उपन्यास की पांडुलिपि का हाथ से लिखा एक पन्ना करीब सवा तीन करोड़ में बिका। कहते हैं कि टेक्सास के डलास में एक नीलामी में किसी खरीदार को बेचा गया। इस पन्ने पर शेरलॉक और डॉ. वाटसन के बीच एक संदिग्ध गिरफ्तारी को लेकर बातचीत है। यह भी कहा गया कि इस पेज को खुद कानन डायल ने संपादित किया था।
शेरलॉक को मार दिया था कानन ने
आर्थर कानन डायल का यह किरदार 134 साल पहले 1887 में सामने आया था। यह एक ऐसा जासूस था जिसने अपराध कथा साहित्य की दुनिया को बदल कर रख दिया। इसे लेखक ने 1894 में मार दिया था, लेकिन इसके आठ साल बाद 1902 में वह फिर जिंदा हुआ। दरअसल, कानन डायल ने ‘द हाउंड आफ द बास्केटविल्स’ में अपने मशहूर किरदार को दोबारा जीवित कर दिया। यह उपन्यास 185 पेज का था। मगर समय के साथ इसके कई पन्ने नष्ट हो गए। अब 37 पेज ही बचे हैं। दो साल पहले इन्हीं में से एक पन्ने को नीलाम किया गया तो शेरलॉक दोबारा जिंदा हो गया। सिगार पीते हुए और गोल हैट लगाए हुए। शेरलॉक होम्स आज भी हमारे आसपास ही कहीं टहल रहा है। किसी न किसी जासूस के रूप में।
बरकरार है शेरलॉक का जलवा
शेरलॉक का जादू छाए रहने का श्रेय इसके आर्थर कानन डायल को दिया जाना चाहिए। इसके प्रति दीवानगी आज भी बनी हुई है। साल 1887 में कानन डायल की ‘अ स्टडी इन स्कार्टलेट’ में वह दिखाई पड़ा। उसने लंदन के 221 बी बेकर स्ट्रीट में अपना ठिकाना बनाया, जहां वह निजी जासूसी एजंसी चलाता था। वह स्कारलेट में 56 कहानियों और चार उपन्यासों में अपराध की गुत्थियां सुलझाता रहा। अपने असाधारण व्यक्तित्व, अपनी कल्पना शक्ति और अपने तार्किक निष्कर्षों से शेरलॉक न केवल वास्तविक लगा बल्कि बरसों-बरस उसे पढ़ा और देखा गया। आर्थर ने उसे एक ऐसा पात्र बनाया जो महान जासूस बन बैठा।
आइए जाने, कैसा दिखता था शेरलॉक
जो तथ्य मिलते हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि शेरलॉक होम्स हैंडसम था। ‘अ स्टडी इन स्कारलेट में शेरलॉक’ होम्स की पहली कहानी का जिक्र है। इस कहानी में डॉ. वाटसन ने शेरलॉक को छह फीट लंबा, बेहद दुबला-पतला, तेज निगाह और पतली नाक वाला नौजवान बताया। उसकी आवाज कभी तीखी, तो कभी ऊंची हो जाती थी। बाद में यह भी पता चला कि उसका चेहरा छोटा था। मगर उसके बाल कुछ काले थे। वह चूंकि जासूसी एजंसी चलाता था तो तो आपराधिक जांच के लिए अपनी फीस भी लेता था। काम करने के दौरान वह अपने दोस्त डॉ. वाटसन को साथ रखता था। ये दोनों किरदार ऐसे हैं जिन पर आधारित दस बेहतरीन फिल्में बनीं। आज भी शेरलॉक साहित्य से लेकर सिनेमा के पर्दे पर चमक रहा है। उसकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ी।