-पदम गोधा
एक तरफ रखा पत्रकार का कैमरा कसमसाया। उसने देखा अचानक उसकी तीन टांगें उग आई हैं। वह चुपके से बाहर निकल आया। बाहर निकलते ही वह एक बड़े से जलसे को देख कर रुक गया। किसी पार्टी के नेता लोग जीत की खुशी मना रहे थे। बड़ा सा पांडाल सजा था। अनेक स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जा रहे थे। पांडाल के बाहर भूखे बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी बेसब्री से झूठे बचे हुए खाने का इंतजार कर रहे थे। कैमरे का मन व्यथित हो गया और भारी मन से उसने वह दृश्य कैद कर लिया। अब वह आगे बढ़ा और देखा कुछ नफरती लोग एक बस्ती में आग लगा रहे हैं।
माहौल खराब था, इसलिए तत्परता से उसने यह दृश्य को उदरस्थ किया और भाग कर एक भूमिगत कमरे में घुस गया। उसने आश्चर्य से देखा, वहां एक गुप्त बैठक हो रही थी। कुछ सफेदपोश नेता और व्यापारी देश की संपत्ति तथा सुरक्षा का गुपचुप सौदा कर रहे हैं? वे सब कुटिलता से हंस रहे हैं और शराब के गिलास से चीयर्स कर रहे हैं। शराफत का परिधान पहने ये लोग कितने गंदे और घिनौने हैं?
कैमरे का मन यह दृश्य अपने अंदर उतारते हुऐ ग्लानि से भर गया। कहीं उनकी नजर उस पर नहीं पड़ जाए इसलिए वह चुपके से खिसक लिया। वहां से चलते वह एक फिल्मी स्टूडियो में घुस गया! वहां निर्वस्त्र अभिनेता और अभिनेत्रियां को देख कर वह बड़बड़ाया- उफ…कितना शर्मसार कर रहे हैं … शरीर का भी सौदा… उर्वशी, रंभा सब मुखौटा पहने हैं? वह व्यथित मन से उन्हें अंदर समेटे वह चुपके से पत्रकार के कमरे में लौट आया।
… तभी अलसाए फटीचर पत्रकार ने जब उसे टटोला तो खुशी से उछल पड़ा और चीखा- दोस्त, कितना बेशकीमती माल भर लाए हो …? अब तो इसका सौदा कर लाखों कमाऊंगा?
कैमरे को गरीब पत्रकार की ईमानदारी पर गर्व था, पर उसका यह मलिन इरादा जान कर वह दुखी मन से बड़बड़ाया-तुम भी…? लगता है इस समाज, लोकतंत्र, शासन व्यवस्था का भगवान ही मालिक है?
-पदम गोधा (गुरुग्राम, हरियाणा)