नेता, सांस और फुर्सत
-अतुल मिश्र चुनाव-प्रचार के दौरान नेताओं को इतनी फुर्सत भी नहीं होती कि वे चैन से सांस भी ले सकें। मीडिया-प्रभारी की तरह उनकी सांसें भी कोई सांस-प्रभारी लेता है।…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
-अतुल मिश्र चुनाव-प्रचार के दौरान नेताओं को इतनी फुर्सत भी नहीं होती कि वे चैन से सांस भी ले सकें। मीडिया-प्रभारी की तरह उनकी सांसें भी कोई सांस-प्रभारी लेता है।…
जासूस डेस्कनई दिल्ली। भारत में जासूसी लेखन की सुदीर्घ परंपरा है। क्या ही अजीब बात है कि साहित्य में जहां महिला लेखकों की प्रतिष्ठा है, वहीं हिंदी जासूसी लेखन में…