तुम्हें याद हो कि न याद हो
-कमलेश भारतीय बचपन का दोस्त निक्का बहुत याद आ रहा है। पोलियो के कारण उसके पांव बचपन से ही काम नहीं करते थे। पांव का काम वह हाथों से लेता…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
-कमलेश भारतीय बचपन का दोस्त निक्का बहुत याद आ रहा है। पोलियो के कारण उसके पांव बचपन से ही काम नहीं करते थे। पांव का काम वह हाथों से लेता…
जासूस डेस्कनई दिल्ली। अगाथा क्रिस्टी के उपन्यासों की पूरी दुनिया दीवानी है। मगर वे किसकी दीवानी थी? यह हमें जानना चाहिए। उन्होंने अपना जीवन भरपूर जिया। खूब किताबें लिखीं। ये…
-अतुल मिश्र ‘तुम गधे हो, पाजी हो और वह वाले जानवर हो, जो अक्सर धोबी के साथ ही रहता है, पर इतने पर भी घर और घाट में से कहीं…