-अतुल मिश्र

‘तुम गधे हो, पाजी हो और वह वाले जानवर हो, जो अक्सर धोबी के साथ ही रहता है, पर इतने पर भी घर और घाट में से कहीं का नहीं रहता।’ आदमी जानवर से विकसित होकर भी मूल रूप से वही है, इस सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए एक चुनाव-प्रत्याशी ने अपनी पार्टी के वर्तमान नगराध्यक्ष को डांटा।
 ‘बात बताएं कि क्या बात हुई?’ आखिरी सीमा तक पिचके हुए टूथपेस्ट की आकृति वाले नगराध्यक्ष ने अपनी सेहत के मद्देनजर पूरी विनम्रता से सवाल किया।

‘बहुत खूब, बात भी हम ही बताएं कि क्या बात हुई? तुमने रामभरोसे से क्या कहा था?’ सांसद बनने के कन्फर्म मुगालते से युक्त प्रत्याशी ने बात को लम्बे समय तक रहस्य बनाए बिना साफ किया। प्रत्याशी ने बात को लंबे समय तक रहस्य बनाए बिना साफ किया।

‘वो यह पूछ रहे थे कि जमानत जब्त होने के बाद आपका क्या करने का इरादा है, तो मैंने उनसे कह दिया कि यह बात तो वही जानें। हमें तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी है कि ऐसा न हो।’ सियासत में सत्य की कड़वाहट का कितना महत्त्व होता है, इस सत्य से वाकिफ करते हुए नगराध्यक्ष ने बताया।      

‘तुम तो जानते हो कि रामभरोसे को इस बार भी हाईकमान से टिकट नहीं मिला, इसीलिए वह ऐसी बातें कर रहा है?’ प्रत्याशी बोला।  ‘बिलकुल, रामभरोसे के अलावा सभी ऐसा मानते हैं।’ दुनिया में कभी भी कोई चमत्कार हो सकता है, इस बात के अलावा पार्टी प्रत्याशी जीत भी सकता है, इस बात को ध्यान में रखते हुए नगराध्यक्ष ने इस बार अपेक्षाकृत अधिक विनम्रता से जवाब दिया।

‘कल रात तुमने उसके घर बैठ कर दारू भी पी थी और मेरे लिए कुछ ऐसा भी कहा था कि मैं तो उनकी रग-रग से वाकिफ हूं कि वे पहले क्या थे?’ पार्टी-प्रत्याशी ने पार्टी-नगराध्यक्ष को इससे पहले कि ‘रात गई, बात गई’, वाली कहावत से वह अपना स्पष्टीकरण दे, पूछ लिया।

“उसके घर एक बर्थडे पार्टी थी कल, इसीलिए मैं चला गया वरना आप तो जानते ही हैं कि जब से उसने पार्टी-मुख्यालय पर आपको रिश्ते-सूचक गंदी गालियां दी थीं, मैंने उसके घर की तरफ से निकलना तक बंद कर दिया था।’ भावी सांसद बनने का सपना देखने वाले को तनावपूर्ण बातें स्मरण कराते हुए नगराध्यक्ष ने कहा।

‘इस बात का जिक्र करने की क्या जरुरत थी कि पार्टी मुख्यालय पर उसने मुझसे क्या कहा था या मुझे किस किस्म की गालियां दी थीं ? असली बात पर क्यों नहीं आते?’

‘असली बात जब कोई है ही नहीं, तो क्या  बताऊं?’ नगराध्यक्ष ने प्रत्याशी को असली बात के दौरान तनाव देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली और मोबाइल फोन पर रामभरोसे से बात करने में व्यस्त हो गया। प्रत्याशी ने तनाव-मुक्त होने के लिए दारू की बोतल निकाल कर रख ली।
देश एक बार फिर मुस्कुरा कर रह गया।

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