अनुसंधान डेस्क

नई दिल्ली। आज मोबाइल के बिना लोग एक पल भी नहीं रह पाते। वीडियो रील्स, बनाने से लेकर यूट्यूब देखने, संवाद करने और वाट्स ऐप पर संदेश देखने और भेजने से लेकर  तमाम काम हो रहे हैं। रात सोते समय भी लोग मोबाइल को सिराहने रखते हैं। इन सब का क्या असर हो रहा है इस पर शायद ही कोई विचार करता हो। लेकिन अब यह तथ्य है कि मोबाइल फोन आपकी सेहत के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन रहा है।

मोबाइल रेडिएशन पर कई अनुसंधान पत्र तैयार कर चुके आईआईटी बॉम्बे में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो. गिरीश कुमार का कहना है कि मोबाइल रेडिएशन से तमाम दिक्कतें हो सकती हैं जिनमें प्रमुख हैं सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, अवसाद, नींद न आना, आंखों में सूखापन, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन और जोड़ों में दर्द आदि।

कितनी देर तक मोबाइल का इस्तेमाल ठीक है?
दिन भर में 24 मिनट तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल सेहत के लिहाज से मुफीद है। लंबे वक्त तक बातचीत के लिए लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल रेडिएशन से बचने का आसान तरीका है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि आफिस या घर में लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करें। कॉर्डलेस फोन के इस्तेमाल से बचें।

आंकड़े ये कह रहे हैं
-2010 में डब्लूूएचओ के अनुसंधान में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है। हंगरी में वैज्ञानिकों ने पाया कि जो युवक बहुत ज्यादा सेल फोन का इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।

-जर्मनी में हुए अनुसंधान के मुताबिक जो लोग ट्रांसमीटर एंटिना के 400 मीटर के एरिया में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई। चार सौ मीटर के एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से सौ गुना ज्यादा होता है।

-केरल में हुए एक अनुसंधान के अनुसार सेल फोन टॉवरों से होने वाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की संख्या 60 फीसद तक गिर गई है।

-सेल फोन टावरों के पास जिन गौरेयों ने अंडे दिए, 30 दिन के बाद भी उनमें से बच्चे नहीं निकले, जबकि आम तौर पर इस काम में 10-14 दिन लगते हैं। गौरतलब है कि टावर्स से काफी हल्की फ्रीक्वेंसी (900 से 1800 मेगाहर्ट्ज) की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे निकलती हैं, लेकिन ये भी छोटे चूजों को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

– साल 2010 की इंटरफोन स्टडी इस बात की ओर इशारा करती है कि लंबे समय तक मोबाइल के इस्तेमाल से ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है।

क्या कम सिग्नल भी घातक?
अगर सिग्नल कम आ रहे हों तो मोबाइल का इस्तेमाल न करें क्योंकि इस दौरान रेडिएशन ज्यादा होता है। पूरे सिग्नल आने पर ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना चाहिए। मोबाइल का इस्तेमाल खिड़की या दरवाजे के पास खड़े होकर या खुले में करना बेहतर है क्योंकि इससे तरंगों को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाता है। (स्रोत : हील इनिशिएटिव, डब्लूूएचओ मोबाइल रेडिएशन स्टडी)

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