आइना  रोज    देखता   हूं   मैं

- संजीव सागर इक  सिवा  तेरे  अब नहीं दिखता,है  मगर  मुझको रब नहीं दिखता। हर  तरफ  है  बहार   का  मौसम,क्या करूं मैं वो सब नहीं दिखता। है नजारा  तिरा…

ओटीटी मंचों पर भी देखिए जासूसी फिल्में

नई दिल्ली। साहित्य के पन्नों से होता हुआ कोई जासूस अपने कारनामे रूपहले पर्दे पर दिखाता है तो वह दर्शकों का ध्यान खींच ही लेता है। वहीं दूसरी ओर कई…

बच्चों के लिए खतरनाक है वीडियो गेम

अनुसंधान डेस्कनई दिल्ली। इन दिनों बच्चों में वीडियो गेम की लत और मोबाइल से चिपके रहने के कारण ज्यादातर अभिभावक परेशान हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित…

नन्हीं मुट्ठियों में चमकीली धूप और खुशियां

-नीता अनामिका अगर मेरे पास घड़ी कोपीछे करने की शक्ति होती,तो गली के मोड़ में उस घर में वापस जातीजिसे नीचे एक कोयले की दुकान थी।वह घर जो जब मैं…

नेता, सांस और फुर्सत

-अतुल मिश्र चुनाव-प्रचार के दौरान नेताओं को इतनी फुर्सत भी नहीं होती कि वे चैन से सांस भी ले सकें। मीडिया-प्रभारी की तरह उनकी सांसें भी कोई सांस-प्रभारी लेता है।…

गजाला ने क्यों लिखना छोड़ा जासूसी उपन्यास

जासूस डेस्कनई दिल्ली। भारत में जासूसी लेखन की सुदीर्घ परंपरा है। क्या ही अजीब बात है कि साहित्य में जहां महिला लेखकों की प्रतिष्ठा है, वहीं हिंदी जासूसी लेखन में…

…क्योंकि हर चेहरा एक मुखौटा है

साहित्य डेस्कनई दिल्ली। हर मनुष्य एक कहानी और हर चेहरा एक मुखौटा है। कलाकार संजय भोला धीर यही कहना चाहते हैं। सचमुच बहुत मुश्किल है उसे पढ़ना और पहचानना। किसी…

सन्निधि की शतक संगति में हस्तियों का सम्मान

साहित्य डेस्कनई दिल्ली। दिल्ली की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘सन्निधि संगोष्ठी’ ने विष्णु प्रभाकर और काका साहेब कालेलकर की स्मृतियों को नमन करते हुए अपनी सौवीं संंगोष्ठी पूरी की। दो सत्रों…