जासूस डेस्क
नई दिल्ली। देश-दुनिया के जिन लेखकों ने कई संघर्षों और चुनौतियों को पार करते हुए लिखा, वे सचमुच अनोखा रच गए। इस कड़ी में हम विख्यात जेम्स बांड के रचयिता इयान फ्लेमिंग का जिक्र करना जरूरी है जिन्होंने अपने जीवन में तमाम सुख-सुविधाओं के बावजूद संघर्ष किया और जीवन में शांति काल से लेकर युद्ध काल के अनुभवों को अर्जित करने के बाद विश्व के प्रसिद्ध लेखकों में से एक बने।
अपनी किस्मत आजमाने की जिद
ब्रिटेन के एक धनी परिवार में जन्मे इयान को हर खुशियां मिलीं। उनके पिता संसद सदस्य थे जबकि मां एक सोशलाइट। बताते हैं कि उस दौर में वे विंस्टन चर्चिल को अपना मित्र बताती थीं। इयान ने दादा-पिता की तरह प्रतिष्ठित स्कूल और कालेज में पढ़ाई की, लेकिन इयान आॅक्सफोर्ड में अपने भाई और पिता के पदचिह्नों पर नहीं चलना चाहते थे। वे अपनी किस्मत खुद रचना चाहते थे। इसलिए वे कोई डिग्री लिए बिना वे कालेज से निकल गए। इसके बाद मिलिट्री अकादमी में दाखिला लिया, लेकिन वहां के अनुशासन और कड़े नियमों से वे कुछ समय बाद उकता गए।
जासूसी मुकदमे को करीब से देखा
खुद को सफल साबित करने के लिए इयान ने आॅस्ट्रिया में कई नौकरियां की और बदलीं भी। कहीं मन नहीं लगा तो वे रॉयटर्स के संवाददाता बन गए। इसी दौरान उनको एक जासूसी मुकदमे को कवर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह एक ऐसा मामला था जिसे करीब से जानने के बाद इयान की जासूसी मामले में दिलचस्पी बढ़ गई। हालांकि रॉयटर्स के साथ उनका नाता लंबे समय तक नहीं रहा और अमीर बनने का ख्वाब लिए वे वहां से भी निकल गए। इसके बाद लंदन नें बैंक की नौकरी की।
रॉयटर्स के लिए रिपोर्टिंग
कहते हैं कि रॉयटर्स के लिए रिपोर्टिंग करने के दौरान इयान का ब्रिटिश खुफिया सेवा से संपर्क हो गया। साल 1939 में उन्हें बैंकर की भी नौकरी रास नहीं आई तो सोवियत संग चले गए और लंदन टाइम्स के लिए कवर स्टोरी करने लगे। कुछ लोग बताते हैं कि एक बैंकर के रूप में काम करने के दौरान इयान ने ब्रिटेन के लिए भी थोड़ी बहुत जासूसी की। मगर लंदन टाइम्स के लिए काम करते हुए वे ब्रिटेन के एक सीक्रेट एजंट जैसे ही हो गए थे। इसके बाद तो वे सचमुच ही ब्रिटिश नौसेना खुफिया सेवा का हिस्सा बन गए।
…और जासूस बन गए इयान
इस तरह दुनिया का भावी ख्यात उपन्यासकार एजंट 007 बन गया। वे ब्रिटेन के शीर्ष खुफिया अफसरों में से एक एडमिरल जॉन गॉडफ्रे के सहायक बन गए। इसके बाद उन्हें अहम और खतरनाक मिशन के लिए भी चुना गया। इसमें उनको अपनी कल्पना का प्रयोग करने की इजाजत भी मिली। कई मिशनों में इयान सफल रहे। क्या ही आश्चर्य की बात है कि दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होते होते खुफिया कार्यालय में इयान लेफ्टिनेंट कमांडर के पद तक पहुंच गए। उनको 30 असॉल्ट कार्यालय का दायित्व सौंपा गया। यह विशेष खुफिया इकाई थी जिसमें प्रशिक्षित कमांडो शामिल थे। इयान की खुफिया यूनिट ने न केवल जर्मनी के खुफिया तंत्र तक अपनी पहुंच बनाई बल्कि कुछ नाजी दस्तावेज भी उड़ाए। यह ब्रिटेन के काम आया और इयान की सराहना भी हुई।
विश्वयुद्ध खत्म होते ही जमैका पहुंचा लेखक
हर एक युद्ध अंत होता है। तो दूसरा विश्वयुद्ध भी खत्म हुआ। इयान खुफिया सेवा को अलविदा कह जमैका पहुंच गए। वहां अपना घर बनाया। इसके बाद शुरू हुई उनकी लेखकीय यात्रा। अब इयान खुद खुली किताब की तरह थे। उनके पास जीवन का व्यापक अनुभव था, जिसमें पत्रकारिता से लेकर युद्ध और जासूस तक शामिल था। वे युवा थे। उनमें जोश था। वे अब कुछ नया करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने कलम उठाया तो जासूसी कहानियां पन्ने पर उतरने लगीं।
छोड़ गए अपने पीछे जेम्स बांड
जासूसी इयान का प्रिय विषय था। वे इसकी गहरी समझ रखते थे। इसके बाद तो इयान ने जेम्स बांड पर आधारित सभी उपन्यास जमैका के उत्तरी तट पर अपने निवास पर लिखे। उपन्यास कैसीनो रॉयल का यहीं जन्म हुआ। उनके ज्यादातर उपन्यास पचास से साठ के दशक में लिखे गए। इयान ने लंदन से लेकर सोवियत संघ और जमैका तक शानदार जीवन जिया। इस बीच उनके प्यारे बेटे कैस्पर और खूबसूरत पत्नी चार्टरिस ने उनके जीवन में खुशियों के फूल बिखेर दिए। मगर अफसोस कि उनका बेटा 23 साल की उम्र में चल बसा। इस घटना से इयान कभी उबर नहीं पाए। दिल का दौरा पड़ने से उनका 12 अगस्त 1964 को निधन हो गया। पीछे छूट गया एक विश्व प्रसिद्ध लेखक और उनका प्रिय जासूस जेम्स बांड।