-रश्मि वैभव गर्ग

वसंत आने को है…
इसका मायावी सम्मोहन
आकर्षित करता है मुझे,
मेरे अंतस में कुछ ख्वाहिशें
जीवंत होने लगती हैं…।

लिखकर अपनी
तकलीफों की किताब,
सब भूल जाना चाहती हूं मैं,
फिर…ओढ़ कर धानी चुनर
हां.. हटा कर,
स्मृतियों के कवच…
खो जाना चाहती हूं मैं
वसंत के सम्मोहन में।

वसंत तो एक
दस्तक मात्र है।
मैं आलिंगनबद्ध होना चाहती हूं
आत्मा के सम्मोहन में…।

(कोटा निवासी लेखिका कहानीकार और कवयित्री हैं।)

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