-अतुल मिश्र
‘शर्ट तुम्हारी, बटन हमारे’ फिल्म की शूटिंग चल रही थी। फिल्म की पटकथा चूंकि हमने लिखी थी और निर्माता ने उसका पूरा भुगतान नहीं किया था, इसलिए भी हम शूटिंग-स्थल पर मौजूद थे। हीरो अपनी खुली हुई शर्ट पहने इधर-उधर घूम रहा था। फिल्म की नायिका अपनी मां की डिलीवरी की वजह से अभी तक नहीं आ पाई थी। हीरो अपनी ट्रिपल फाइव सिगरेट की डिब्बी से निकाल कर कई बीड़ियां पी चुका था।
सिचुएशन की तलाश में डायरेक्टर साइड हीरोइंस को लेकर कहीं पेड़ों की तरफ निकल लिया था। कैमरामैन और मेकअप मैन दारू की बोतल खत्म करने के बाद हीरो और हीरोइन के बेभाव नखरों पर अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे। निर्माता को शायद डायरेक्टर ने हमारी मौजूदगी की सूचना दे रखी थी, इसलिए वह भी नायिका की मां को बधाई देने अस्पताल गया हुआ था। पेड़ की आड़ में खड़ा हीरो अनेक बीड़ियां फूंक कर बोर हो चुका था। वह हमारे पास आकर झुंझला रहा था।
‘इस फिल्म की स्क्रिप्ट आपने लिखी है?’ हीरो ने हमसे ऐसे पूछा, जैसे हमने कोई बड़ा गुनाह कर दिया हो और जिसकी सजा अब उसे भुगतनी पड़ रही है।
‘जी, हमने ही लिखी है।’ हमने गर्व-भाव से कहा। ‘टाइटिल थीम कोई और नहीं मिली आपको?’ उसने पूछने के लिहाज से पूछा। ‘क्यों इसमें क्या खराबी है।’ सवाल के जवाब में सवाल उठा।
‘शर्ट अगर हीरोइन की होती, तो बेहतर रहता।’हीरो ने प्रस्ताव रखा।‘क्यों, ऐसा क्यों बोल रहे हैं ?’ हमने वजह जाननी चाही।
‘इसलिए कि स्क्रिप्ट के हिसाब से शर्ट तो हमारी है, बटन हीरोइन के हैं और वह अभी तक आ नहीं पाई है।’ हीरो ने अपनी खुली शर्ट में से झांक रही फटी बनियान दिखाते हुए कहा।
‘अब यह तो कहानी की मांग है।’ हमारे अंदर का कहानीकार बोला।
‘काहे की मांग है? सुबह से अपनी शर्ट में बटन टकवाने के एक शॉट के लिए मैं ऐसे ही घूम रहा हूं और इधर टांकने वाली गायब है।’ हीरो का पारा जिस भी आसमान पर था, वहां से उसका वापस पृथ्वी पर आना मुश्किल लग रहा था।
‘फिलहाल, सेफ्टी पिन से काम चला लें।’ हमने बिन मांगी राय दी। ‘आपका पूरा पेमेंट मिल गया?’ हीरो ने विषय-परिवर्तन के लिहाज से सवाल किया।
‘अभी कहां मिला है?’ हमारी निराशा ने जवाब दिया। ‘फिर आप शर्ट हीरोइन को देकर बटन हमें दे दीजिए। जो होगा, देखा जाएगा।’ हीरो अब बगावत पर उतर आया था।
‘ऐसा करें दोनों चीजें आप ही ले लें, मगर हमारा पेमेंट निर्माता से जरूर दिलवा दें।’ दोनों चीजें हीरो के नाम करके हम एक भोजपुरी फिल्म-निर्माता के घर की तरफ चल पड़े।
(तस्वीर : प्रतीकात्मक और साभार)