नई दिल्ली। जब एक जासूस उम्र के एक पड़ाव पर आकर जासूसी कहानियां लिखने बैठ जाए तो इसे क्या कहेंगे। खास तौर से तब जब ब्रिटिश खुफिया सेवा और सुरक्षा सेवा का जासूस रहा हो। आज हम याद करेंगे डेविड जॉन मूर को जिन्हें हम सभी जॉन ल’ कॉर  के नाम से जानते हैं। उन्हें दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के दौर में महानतम उपन्यासकारों में से एक माना जाता है। कॉर के जासूसी उपन्यासों पर फिल्में बनीं। टीवी रूपांतर भी सामने आए। इन्हें देख कर एक पीढ़ी बड़ी हुई। शीतयुद्ध के दौरान लिखे गए उनके उपन्यासों में जासूसों की भरी-पूरी दुनिया है।

जॉन ल’ कॉर ब्रिटेन और आयरलैंड दोनों देशों के नागरिक थे। उनका जन्म 1931 में दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में हुआ था। उन्होंने बर्न विश्वविद्यालय और आक्सफोर्ड से पढ़ाई की। कॉर का शुरुआती जीवन अच्छा नहीं रहा। कहते हैं कि उनके पिता उन्हें पीटते थे। पांच साल की उम्र में मां घर छोड़ कर चली गई। इस तरह वे मां-बाप के स्नेह से कॉर सदा वंचित रहे। दूसरी ओर बचपन में वे पब्लिक स्कूल के के कठोर अनुशासन से भी परेशान रहे।

युवा होने पर जॉन ल’ कॉर विदेशी भाषाओं के अध्ययन के लिए बर्न विश्वविद्यालय चले गए। साल 1950 में उन्हें राष्ट्रीय सेवा के लिए बुलाया गया था। उन्हें मित्र देशों के कब्जे वाले आॅस्ट्रिया में ब्रिटिश सेना की खुफिया सेवा में काम दिया गया। साल 1952 में आक्सफोर्ड में अध्ययन के लिए वे फिर लौटे। इसके बाद ब्रिटेन में उन्होंने एमआई-5 के लिए काम किया। साथ ही सोवियत एजंटों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जासूसी की।

एक तलाक, दो शादियां
जॉन ल’ कॉर ने आक्सफोर्ड में आधुनिक भाषाओं में प्रथम श्रेणी के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दो साल ईटन कालेज में फ्रेंच और जर्मन भी पढ़ाया। इसके बाद कॉर 1958 में एमआई 5 में खुफिया अधिकारी नियुक्त हुए। उनकी कई महिलाओं से मित्रता थी। उन्होंने सबसे पहले। 1954 में वेरोनिका शार्प से शादी की जिनसे उनके तीन बेटे हुए। अफसोस कि उनका तलाक हो गया। इसके बाद कॉर ने लेखिका-संपादक वैलेरी से शादी की। उनसे उनका एक बेटा निकोलस पैदा हुआ। वैलेरी और कॉर लंबे समय तक साथ रहे। दूसरी पत्नी ने उनका रचनात्मक सहयोग किया।

ब्रेजिक्ट के प्रबल विरोधी
जीवन के अंतिम दौर में ब्रेक्जिट के मुद्दे पर जॉन ल’ कॉर बेहद निराश हो गए थे। ये यूरोपीय एकीकरण के प्रबल पक्षधर थे। उनके बेटे निकोलस के मुताबिक उनके पिता का इस मुद्दे पर ब्रिटेन से मोहभंग हो गया था। वे आयरलौंड में अपने पुरखों और अपनी जड़ों कोअपनाने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद उन्होंने अपने रिश्तेदारों की मदद से आयरिश नागरिक बन गए। यही वजह है कि ब्रिटेन और आयरलैंड के पाठक आज भी अपने प्रिय उपन्यासकार का बेहद सम्मान करते हैं।

कॉर का यादगार किरदार जार्ज स्माइली
कॉर को उनके तीसरे उपन्यास ‘द स्पाई हू केम इन फ्रॉम द कोल्ड’ को बेहद याद किया जाता है। साल 1963 में आया यह उपन्यास खूब बिका और अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर साबित हुआ। यह वही उपन्यास है जिसको लिखने के बाद कॉर ने ‘एमआई 6’ की नौकरी छोड़ी और पूर्णकालिक लेखक बन गए। इसके बाद उन्होंने कई उपन्यास लिखे। यथा- ‘द टेलर आफ पनामा’, ‘द नाइट मैनेजर’, ‘टिंकर टेलर सोल्जर स्पाई’, ‘द लिटिल ड्रमर गर्ल’, ‘अ मोस्ट वांटेड मैन’ और ‘आॅनरेबल स्कूल ब्वाय’। साल 1986 में प्रकाशित ‘अ परफेक्ट स्पाई’ को युद्धकाल के बाद सर्वश्रेष्ठ उपन्यास माना गया। कॉर का एक मशहूर किरदार ‘जार्ज स्माइली’ को आज भी याद किया जाता है।

अंतिम दम तक कागज-कालम का साथ
लेखिका मारग्रेट एटवुड कहती हैं कि जॉन ल’ कॉर के उपन्यासों से 20वीं सदी की जासूसी दुनिया को समझा जा सकता है। यह क्या कम बड़ी बात है कि लेखन की दुनिया में आने से पहले कॉर ने खुफिया एजंसियों एमआई 5 और एमआई 6 के लिए जासूसी की। एक खास बात यह कि कॉर ने जीवन के अंतिम समय तक कलम से लिखने वाले लेखक थे। उन्होंने कभी टाइप करना नहीं सीखा। कॉर का मानना था कि साइबर जासूसी के युग में और खास तौर से 9/11 की घटना के बाद पुराने दौर की जासूसी की आवश्यकता है। उनका यह भी कहना था कि रहस्य बनाए रखने की तकनीक पिछड़ पिछड़ गई है। कैरे खुद लंबे समय तक जासूस रहे। उन्होंने खुद जासूसों की भर्तियां कीं। इसलिए वे जासूसी दुनिया की कमजोरियों और अच्छाइयों से वाकिफ थे।

एक मुखर लेखक खामोश हो गया
शीत युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखे गए उनके सभी उपन्यास जासूसी पर आधारित हैं। कॉर का लेखन छह दशक चला। उन्होंने इस दौरान 25 उपन्यास लिखे। वे जोर देकर कहते थे कि उनके लेखन को साहित्य पुरस्कारों के लिए नहीं चुना जाएगा। ऐसा वे क्यों सोचते थे, इसे समझा जा सकता है। एक ऐसे संवेदनशील लेखक जॉन ल’ कॉरे का 89 साल की उम्र में 12 दिसंबर 2020 को निधन हो गया। इस तरह सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ आवाज उठाने वाला एक लेखक चला गया। कॉर के निधन के कुछ समय बाद 2021 में उनकी पत्नी ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 

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