नई दिल्ली। प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेला शुरू होते ही पढ़ने-लिखने वाले संजीदा पाठक उमड़ पड़े। शनिवार का छुट्टी का दिन और खिली धूप। लिहाजा बड़ी संख्या में बच्चे तो आए ही, वरिष्ठ नागरिकों की भी उपस्थिति दिखी। अठारह फरवरी तक चलने वाले विश्व पुस्तक मेले का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भारत ऐसा देश है जहां भाषाओं की विविधता है। इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने ‘ई- लाइब्रेरी’ का भी उद्घाटन किया।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि बहुभाषावाद हमारे राष्ट्र की जीवंत परंपरा है। हमारे यहां अनेक भाषाएं बोली जाती हैं और कई भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध हैं। उन्होंने बहुभाषावाद की परंपरा को जनमानस में लाने के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट की सराहना की। समारोह में शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव संजय कुमार और आइटीपीओ के कार्यकारी निदेशक रजत अग्रवाल भी मौजूद थे।

उद्घाटन के दिन विश्व पुस्तक मेले में ज्यादातर प्रकाशक अपनी किताबों को व्यवस्थित तरीके से जमाने में लगे रहे। इस बार मेले में एक हजार से ज्यादा प्रकाशक हिस्सा ले रहे हैं। वहीं चालीस से अधिक देशों के प्रतिनिधि आए हैं। अगले दिन रविवार को कई पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। इससे पहले मेले में पहले ही दिन प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम पर आधारित पुस्तक (सामूहिक हित का दीप जले) का 12 भाषाओं में विमोचन किया गया।  इसके अलावा ‘एग्जाम वारियर्स’ के ब्रेल संस्करण का भी लोकार्पण किया गया।

इस बार भी बच्चों को प्रवेश निशुल्क दिया गया है, वहीं वरिष्ठ नागरिकों को भी बिना टिकट मेले में आने की अनुमति है। वैसे सामान्य वर्ग के वयस्कों के लिए 20 रुपए का टिकट है। जबकि स्कूल की वर्दी में न आने वाले बच्चों का सिर्फ दस रुपए टिकट है। स्कूल वर्दी में आने वाले बच्चों का प्रवेश निशुल्क है।    

तस्वीर : साभार 

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