पटना। मैथिली और हिंदी की विख्यात लेखिका उषा किरण खान का पिछले दिनों निधन हो गया। वे कुछ दिनों से अस्वस्थ थीं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उन्हें पटना के एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। पिछले रविवार को दोपहर तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। दरभंगा जिले में उनके गांव मझौलिया के निवासी भी शोकाकुल हो उठे।

उषा किरण खान नए-पुराने तमाम लेखकों से आत्मीय रूप से मिलती थीं। ये सभी यकीन ही नहीं कर पा रहे हैं कि उषाजी अब इस दुनिया में नही हैं। लेखिका ने साहित्य के साथ शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया था। उषा किरण खान ने कई कालजयी रचनाएं लिखीं। उन्होंने गांवों-किसानों और स्त्रियों की दशा-दिशा पर लिखा। उनके मैथिली उपन्यास ‘भामती एक अविस्मरणीय प्रेमकथा’ के लिए उन्हें साहित्य अकादेमी सम्मान मिला। उन्हें भारत-भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने कई नाटक भी लिखे। पानी की लकीर, अंगन हिंडोला, सिरजनहार, भामती, अनुत्तरित प्रश्न, सीमांत कथा उनकी अविस्मरणीय रचनाएं हैं।

उषा किरण खान के लेखन में पाठकों को अपना घर-गांव दिखता है। वे खुद भी मानती थीं कि जिंदगी की कहानी गांव के भीतर ही है। उषा किरण मैथिली की प्रख्यात लेखिका थीं, मगर उन्होंने हिंदी साहित्य की कुछ विधाओं पर भी काम किया। वे नारी विमर्श से कभी पीछे नहीं हटीं। स्त्रियों का मुद्दा उठाया तो यौन विषयों को भी छुआ। वे खुल कर लिखती थीं। बिहार में कई साहित्यिक आयोजनों में सहर्ष पहुंच जाती थीं। लेखकों का मार्गदर्शन तो करती ही थीं, आशीर्वाद भी देती थीं।

उषा किरण के पति रामचंद्र खान चर्चित और अनुशासनप्रिय आईपीएस अधिकारी थे। वे जितने आस्थावान थे, उषा जी कर्मकांडों से उतनी ही दूर रहती थीं। वे कर्म को ही पूजा मानती थीं। उनके निधन पर मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा ने गहरा शोक जताया। उन्होंने कहा कि साहित्य जगत में इस क्षति की भरपाई नहीं हो सकती। 

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *