रश्मि वैभव गर्ग
रवि और रीना को यूं अचानक आया देख कर, शिवी आश्चर्यचकित हो गई। अरे भैया आप? आज कैसे रास्ता भूल गए? यह भी आते ही होंगे, बहुत अच्छा किया आप आ गए। मैं भी आपको याद कर ही रही थी।
भाभी आप लोगों की याद आ रही थी बस इसलिए मिलने आ गए, रवि ने कहा। शिवी ने दोनों को ड्राइंग रूम में बिठाया और पानी पिलाया। घंटी बजी और शिवी ने जैसी ही दरवाजा खोला…बोली, यह अच्छा हुआ आप भी आ गए।
रवि भैया आए हैं।
चारों बैठ कर बातें करने लगे। बात करते-करते गानों की और फिल्मों की बात छिड़ गई। शिवी और रवि दोनों का ही यह पसंदीदा टॉपिक था, दोनों ढेर सारी बातें करने लगे। बातों ही बातों में रवि ने कहा कि क्यों न हम घूमने का प्रोग्राम बनाएं।
शिवी और मनोज को भी यह ख्याल अच्छा लगा और वह चारों मसूरी जाने का प्रोग्राम बनाने लग गए। धीरे-धीरे मसूरी जाने का समय भी नजदीक आ गया। चारों ही जाने के लिए अति उत्साहित थे।
मसूरी पहुंचते ही मौज मस्ती शुरू हो गई और रवि और शिवी दोनों जब तब फिल्मों की बातें करते रहते थे। फिल्मों की जानकारी से अनभिज्ञ रीना को अब रवि और शिवी की बातें अच्छी नहीं लगती थी। वह कुछ अनमनी सी होने लगी थी। उनका टूर भी समाप्त होने लगा और वह अपने अपने घर वापस आ गए।
समय गुजरने लगा… वह चारों जब भी मिलते तो रीना कुछ उदास होने लगती थी। रवि अक्सर शिवी से फिल्मों की बातें करना चाहते थे। शिवी ने रीना का उदास चेहरा पढ़ लिया था। वह उस समय कुछ नहीं बोली। एक दिन शिवी ने रीना को फोन लगाया और कहा आज हम दोनों कैफे चलती हैं। रीना बोली क्यों ना हम चारों ही चलें। शिवी ने कहा नहीं, आज बस हम दोनों चलेंगे।
दोनों कैफे में पहुंची। थोड़ी देर बातचीत के बाद शिवी ने रीना से कहा मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूं… तुम अन्यथा नहीं लेना। पिछले कुछ दिनों से मैं महसूस कर रही हूं कि मैं और रवि जब भी फिल्मों की बात करते हैं, तुम उदास हो जाती हो। शायद तुम्हें अच्छा नहीं लगता।
देखो हर व्यक्ति के शौक अलग होते हैं और जब अपने शौक की बात चलती है, तो हम ना चाहते हुए भी बोलने लगते हैं। ऐसा ही मेरा और रवि भैया का है। हम दोनों को ही मूवीज की बात करने का शौक है। लेकिन इसमें तुम्हें अन्यथा लेने की कोई बात नहीं। तुम्हें पिक्चरों के बारे में जानकारी नहीं है, तो जरूरी नहीं हर किसी को हर विषय के बारे में पता हो। लेकिन फिर भी तुम्हें अच्छा नहीं लगता हो तो इस विषय पर हम कभी बात नहीं करेंगे।
सच कहा, शिवी तुमने मैं यह सोच कर थोड़ा उपेक्षित महसूस करने लगी थी। लेकिन आज तुम्हारी इस पहल ने मेरे अंदर तुम्हारे लिए इज्जत और बढ़ा दी। तुमने मुझे समझने की कोशिश की, इसके लिए तुम्हारा बहुत शुक्रिया। अब मैं कभी मन मलिन नहीं करूंगी। तुम दोनों खूब बातें करना। अब मैं और मनोज भैया दूसरी बातें करा करेंगे।
कह कर दोनों सखियां खूब हंसने लगी।
(कोटा निवासी लेखिका कहानीकार हैं)