नई दिल्ली। भारतीय जासूसों ने एक से बढ़ कर एक साहसिक कार्यों से अपने देश का नाम बढ़ाया है। मगर एक जासूस जिसकी अमूमन चर्चा नहीं होती, वह हैं- भगतराम तलवार। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वे सिल्वर के नाम से चर्चित हुए थे। इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन के अलावा अन्य देशों के लिए भी जासूसी की। माना जाता है कि भगतराम उस दौर में भारत के पहले नायाब जासूस थे। यह वह दौर था जब देश के पास रॉ जैसी कोई खुफिया एजंसी नहीं थी। तब यहां ब्रिटिश मिलिट्री इंटेलिजेंस ही सक्रिय थी। तब किसी का जासूस बनना और अपने काम को अंजाम देना इतना आसान नहीं था।
सुभाषचंद्र बोस की मदद की
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भगतराम तलवार जाने-माने जासूस थे। दुनियाभर की बड़ी खुफियां एजंसियां उन्हें जानती थीं। कुछ देशों में तो बाकायदा उनकी सेवाएं लीं। वे अपने काम में कितने माहिर थे, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक समय में सुभाषचंद्र बोस तक की मदद की। बताते हैं कि साल 1941 में जब नेताजी नजरबंद थे तब यह भगतराम ही थे जिन्होंने वहां से निकाल कर भारत से बाहर भेजने में अहम भूमिका निभाई थी। यहां तक कि इस जासूस ने नेताजी के साथ यात्राएं भी कीं। मगर भगतराम ने उन्हें भी पता नहीं चलने दिया कि वे एक जासूस हैं।
युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरक जासूस
भगतराम तलवार उर्फ ‘सिल्वर’ के साहसिक कारनामों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी न तो आम लोगों को है और न ही आज की पीढ़ी के जासूसों को। लेकिन वे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक जरूर हैं। लेखक और पत्रकार मिहिर बोस की पुस्तक ‘सिल्वर : द स्पाई हू फील्ड द नाजीस’ में कुछ रोचक जानकारियां मिलती हैं। इस किताब में लेखक ने बताया है कि भगतराम ऐसे जासूस थे जिन्होंने पांच देशों के लिए जासूसी की। भगतराम रहमत खान के नाम से भी जाने गए। मगर दुनिया भर का खुफिया तंत्र उनको ‘सिल्वर’ के नाम से जानता था।
बेहतरीन जासूस देने वाले दुनिया भर के खुफिया तंत्र को भगतराम को एक बार जरूर याद करना चाहिए।
जेम्स बांड की तरह थे सिल्वर
देश के लिए जज्बा हो तो भगतराम जैसा। एक व्यक्ति जिसके छह नाम थे। शातिर इतने कि दाएं हाथ ने क्या किया, बाएं हाथ को पता नहीं चले। तब भारत में अंग्रेजों का शासन था। दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था। मित्र देश एक दूसरे की मदद के लिए जासूस रख रहे थे। ब्रिटेन ने भी एक ऐसा जासूस रखा जो बेहद चतुर था। यानी अपने भगतराम तलवार। बताते हैं कि ब्रिटिश मिलिट्री खुफिया के लिए काम कर रहे पीटर फ्लेमिंग ने भगतराम की नियुक्ति की थी। यह भी कम दिलचस्प नहीं कि इसी पीटर के भाई थे इयान फ्लेमिंग, जिन्होंने चर्चित जासूस किरदार जेम्स बांड रचा था जो दुनिया भर में विख्यात हो गया था।
बर्लिन तक पहुंचाया नेताजी को
सुभाषचंद्र बोस को भगतराम ने ही बर्लिन तक पहुंचाया। एक दिन वे इटली दूतावास पहुंच गए। किसी तरह उन तक संदेशा पहुंचाया। उनसे मिल कर कहा कि वह बोस को काबुल तक पहुंचाना चाहते हैं। इसके लिए इटली की मदद चाहिए। इस तरह भगतराम की मदद से नेताजी काबुल पहुंचे। वहां तक की यात्रा उन्होंने साथ की। इसके बाद कई दिनों तक काबुल की सड़कों पर भटकने के बाद इटली के दूत की सहायता से ही नेताजी बर्लिन तक पहुंचे। इस घटना के बाद भगतराम दुनिया के चर्चित जासूस बन गए। उनको मुंहमांगे पैसे भी मिले। उन्होंने ब्रिटेन के साथ रूस, जर्मनी, जापान और इटली के लिए जासूसी की। कहते हैं कि 1941 से 1945 के बीच भगतराम ने पैदल ही कई बार यात्रा की।
हिटलर तक को मूर्ख बनाया
भगतराम तलवार सच्चे देशभक्त थे। नाजियों ने उन्हें प्रशिक्षण देकर काबुल भेजा। लेकिन सच तो यह है कि वे नाजियों की मदद नहीं करना चाहते थे। इसलिए न केवल जर्मनी बल्कि इटली को भी झूठी सूचनाएं देने लगे। एक समय ऐसा आया, जब भगतराम ने अपने बॉस पीटर को भी मूर्ख बनाया। मगर बाद में वे उनकी बात मान कर डबल एजंट बन गए। हालांकि दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हो गया तो भगतराम गायब हो गए। इधर 1947 में भारत आजाद हो गया। ऐसे में उन्होंने पाकिस्तान में रहने के बजाय भारत में रहना बेहतर समझा। ताउम्र यहीं रहे।
अफसोस कि इस जासूस को दुनिया भूल गई। भारत में भी इसकी चर्चा कम ही हुई। भगतराम का जन्म तत्कालीन भारत के उत्तर पश्चिमी प्रांत में 1908 में हुआ। जासूसी की दुनिया के इस चमकते सितारे भगतराम तलवार उर्फ सिल्वर ने 1983 में अंतिम सांस ली।