नई दिल्ली। पिछले दिनों यह खबर सरगर्म रही कि चीन का एक जहाज मालदीव के पास पहुंच गया है। चीन इसे समुद्र में अनुसंधान करने वाला अपना पोत बताता है। इस जहाज का नाम शियांग यांग होंग है। यह एक महीने से हिंद महासागर में अपना काम कर रहा था। हैरत की बात है कि चीनी जहाज उस मालदीव के पास आ गया जब श्रीलंका और भारत के तटरक्षक पोत सैन्य अभ्यास के लिए उस क्षेत्र में पहुंचे थे। क्या चीन ने इसे जासूसी के लिए भेजा था? यह एक गंभीर सवाल है। बता दें कि यह वही जहाज है जिसे अपने बंदरगाह पर न आने देने के लिए भारत ने श्रीलंका पर दबाव बनाया था।

मालदीव की समाचार वेबसाइट से मीडिया को जो खबर मिली उसके मुताबिक मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन के सरकारी दौरे पर निकले थे। उसी के एक दिन बाद चीन का यह जहाज मालदीव की ओर बढ़ गया था। बताया जा रहा है कि यह जहाज 22 फरवरी के बाद से इसलिए नहीं नहीं दिख रहा क्योंकि इसके ट्रैकिंग सिस्टम को जानबूझ कर बंद कर दिया गया है। कहा तो यह भी कहा जा रहा है कि यह मालदीव के विशेष क्षेत्र में कई दिनों तक रहा। फिर 22 फरवरी के बाद माले के आसपास मंडरा रहा था।

उधर, अमेरिका को संदेह है कि चीन का यह जहाज अनुसंधान के लिए नहीं बल्कि वह हिंद महासागर क्षेत्र में सामुद्रिक आंकड़े जमा कर रहा है। उसका यह भी आरोप है कि चीनी जहाज का सैनिक उद्देश्य है। हालांकि चीन ने कई देशों के आरोपों को दरकिनार कर दिया है। उसका कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र के संबंधित कानून के तहत उनका जहाज अपना काम कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हिंद महासागर में अपने हितों को ध्यान में रखते हुए चीनी जहाज पर •ाारत की पैनी नजर है।

समुद्र में चीन की जासूसी बढ़ी
सत्ता बदलने के बाद मालदीव ने चीनी जहाज को अपने समुद्री क्षेत्र में आने की इजाजत दी थी। तब इसने कहा था कि यह जहाज उसके क्षेत्र में कोई अनसंधान नहीं करेगा। जबकि इससे पहले श्रीलंका ने अपने जल क्षेत्र में चीनी जहाज को प्रवेश नहीं दिया था। तब इस देश ने कहा था कि उसने किसी भी विदेशी पोत को एक साल के लिए पाबंदी लगा रखी है। चीनी जहाजों का गुपचाप जासूसी करना कोई नई बात नहीं। चीन जब तब अपना दबदबा बढ़ाने में लगा रहता है। दो साल पहले भी चीन का एक खास जहाज वांग-5 श्रीलंका के पास पहुंच गया था। इस पर भारत ने एतराज जताया था।

चिंता वाजिब है भारत की
भारत की चिंता वाजिब है। क्योंकि मालदीव और श्रीलंका दोनों न केवल पड़ोसी हैं बल्कि भौगोलिक रूप से बेहद नजदीक हैं। मालदीव तो लक्षद्वीप से एकदम पास है। जाहिर है दुश्मन देश की कोई भी गतिविधि चिंता का सबब बन जता है। हिंद महासागर में भारत की मजबूत नौसेना है। वह कई व्यावसायिक जहाजों की सुरक्षा करता है। महासागर में भारत की ताकत को दुनिया के बड़े देश ही नहीं छोटे देश भी मानते हैं। इसलिए चीन यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा। वह लुकछिप कर भारत के पड़ोसियों को घेरने लगा है। समुद्री क्षेत्र में जासूसी करना तो उसकी पुरानी आदत है।  

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