नई दिल्ली। जब कोई लेखक किसी पात्र को रचता है तो उसके पीछे महज कल्पना ही नहीं होती कुछ यथार्थ भी होता है। लेखक इयान फ्लेमिंग ने जिस लोकप्रिय जासूस को अपने उपन्यासों में रचा था, वह क्या असल में था या वह लेखक की कल्पना थी। हम सबने ब्रिटिश खुफिया एजंट 007 जेम्स बांड को जबर्दस्त मारधाड़ करते और डूब कर प्रेम करते देखा है। साल 1962 में पर्दे पर यह पात्र सिनेमा के पर्दे पर उतरा था। देखते ही देखते वह पूरी दुनिया में छा गया था। जेम्स की भूमिका अभिनेता सेन कानरी ने निभाई थी।

जेम्स की तरह था कोई अल्बर्ट भी
हकीकत में भी था कोई जेम्स बांड जैसा और उसी के नाम से मिलता जुलता भी। तो क्या इयान फ्लेमिंग ने इसी शख्स से प्रेरित होकर अपना किरदार रचा था? कौन था यह शख्स? ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट आफ नेशनल रिमेम्ब्रेंस  के जांचकर्ताओं के मुताबिक यह शख्स था- जेम्स अल्बर्ट बांड। वे साल 1964 में वारसा में ब्रिटिश सचिव (आर्काइविस्ट) के पद पर थे। बाद में उन्हें दूतावास में सैन्य सचिव के साथ काम करने के लिए कहा गया। वैसे अल्बर्ट इससे पहले देश सेवा के दौरान एमआई 6 में सीक्रेट एजंट रह चुके थे।

पाठक और दर्शक जिस काल्पनिक पात्र जेम्स बांड को देखते और पढ़ते रहे, वह दरअसल में कहीं न कहीं था और उसी के अंदाज में काम कर रहा था। पुराने दस्तानेजों को जब खंगाला गया, तो यह महज पात्र नहीं एक जीता-जागता इंसान मिला। साठ के दशक में वह ब्रिटिश दूतावास में काम करता रहा। वह पोलैंड में ब्रिटिश दूतावास में सैन्य सचिव का सहयोगी रहा।

अजब जेम्स की गजब कहानी
क्या ही अजब दास्तां है जेम्स बांड की। जिस जेम्स के कारनामों पर लोग फिदा थे, ठीक वैसा ही तो था जेम्स अल्बर्ट बांड। जासूसी पात्र जेम्स की तरह ही उसने जासूसी की। दुनिया के कई देशों में यात्रा की। वे ब्रिटिश सीक्रेट एजंट के रूप में जाने कहां-कहां गए। कहते हैं कि अल्बर्ट ने सेना की खुफिया जानकारी जुटाई। पोलैंड में प्रवास के दौरान उन नजर रखी जाती थी। उनका राज न खुले इसलिए पोलैंड के नागरिकों से अल्बर्ट को मिलने नहीं दिया जाता था। असली जेम्स को बीयर पसंद थी। वहीं रंगीननिजाज भी कम नहीं था।

यानी हकीकत में था वह
इयान फ्लेमिंग को अपने उपन्यासों के लिए जेम्स बांड का मिलना महज इत्तफाक नहीं। बता दें कि इयान के भाई पीटर फ्लेमिंग भी ब्रिटिश सेना से जुड़े थे। उनकी एक समय में भारत में तैनाती थी। वे जासूसों की नियुक्ति के काम से जुड़े थे। दूसरे विश्वयुद्ध में प्रथम भारतीय जासूस भगतराम तलवार की नियुक्ति में उन्हीं की भूमिका थी। तो क्या पीटर से इयान को जेम्स जैसे कुछ बड़े असली जासूसों के बारे में जानकारी दी थी। 

बतौर लेखक इयान ने जेम्स को गढ़ने के लिए असली जासूस का अध्ययन निश्चित रूप से किया होगा। यों भी कोई भी लेखक अपने आसपास से ही किरदार उठाता है। तो क्या जेम्स अल्बर्ट बांड ही असल में जेम्स बांड तो नहीं जो इयान की कहानियों में कल्पना के सहारे उतर आए।  यह दिलचस्प सवाल है मगर इसका जवाब तथ्यों में मिल जाता है। ब्रिटिश दूतावास के दस्तावेज झूठ तो नहीं कहते होंगे। 

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