अतुल मिश्र

‘निहायत गुप्त रूप से राजनीतिक या अन्य प्रकार की सूचना शासन को देने वाले व्यक्ति को गुप्तचर या जासूस कहते हैं। इनके कार्य को गुप्तचर्या या गुप्तचरी कहते हैं। इनके द्वारा जो सूचना एकत्र की जाती है उसे आसूचना या ‘इन्टेलिजेन्स’ कहा जाता है।’ प्रख्यात प्राइवेट डिटेक्टिव वेद भसीन ने ताज होटल में हुई एक अनौपचारिकता भेंट के दौरान हमें बताया था।

बहुत पुराने समय से गुप्तचर शासन की एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता माने जाते रहे हैं। भारत में गुप्तचरों का उल्लेख ‘मनुस्मृति’ और मौर्यकालीन कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में मिलता है। ढाई हजार साल पहले कौटिल्य ने अपने ‘अर्थशास्त्र’ में गुप्तचरों के उपयोग और उनकी श्रेणियों का विशद वर्णन किया है। राज्याधिपति को राज्य के अधिकारियों और जनता की गतिविधियों एवं सीमावर्ती शासकों की नीतियों के संबंध में सूचनाएं देने का अहम कार्य उनके गुप्तचरों द्वारा संपन्न होता था। वाल्मीकि-रचित महाकाव्य रामायण में दुर्मुख नाम के एक ऐसे ही गुप्तचर का उल्लेख मिलता है, जिसने भगवान राम को सीता के विषय में जन-अपवाद की जानकारी दी थी।

कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में उल्लेख है कि हर राजा के पास उसके अपने विश्वासपात्र गुप्तचरों का समुदाय होना चाहिए और इन गुप्तचरों को योग्य एवं विश्वस्त मंत्रियों के निर्देशन में काम करना चाहिए। अर्थशास्त्र में ‘समष्ट’ एवं ‘संचार’ नामक दो प्रकार के गुप्तचरों का उल्लेख मिलता है। समष्ट कोटि के गुप्तचर स्थानीय सूचनाएं देते थे और संचार कोटि के गुप्तचर विभिन्न स्थानों का परिभ्रमण कर सूचनाएं एकत्रित करते थे। समष्ट कोटि के गुप्तचरों के अनेक प्रकार होते थे। जैसे कापातिक, उष्ठित, गृहपतिक, वैदाहक तथा तापस। संचार नामक गुप्तचर में सत्रितिक्ष्ण, राशद एवं स्त्री गुप्तचर जैसे भिक्षुकी, परिव्राजिका, मुंड और विशाली भी होती थीं।

मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में सुदूर स्थित अधिकारियों पर नियंत्रण करने के लिए गुप्त संवाददाता एवं भ्रमणशील गुप्तचरों का उपयोग किया जाता था। ये उन अधिकारियों के कार्यकलापों का भलीभांति निरीक्षण एवं मूल्यांकन करते थे और राजा को इस संबंध में गुप्त रूप से सूचनाएं भेजते थे। हिंदू काल में इस प्रकार के गुप्तचरों का वर्ग अशोक के काल तक सुचारू रूप से कार्य करता रहा। उसके बाद भी शासन में गुप्तचरों का महत्त्व बना रहा। इन गुप्तचरों का पद राज्य के अत्यंत विश्वासपात्र लोगों को ही दिया जाता था।

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