नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी की स्थापना का सत्तर साल का जश्न संपन्न हो गया। साहित्योत्सव 2024 में बड़ी संख्या में लेखक जुटे। समापन दिव्यांग लेखकों के नाम रहा। राजधानी में छह दिन तक चले इस उत्सव में लेखकों ने अपने अनुभव साझा किए। इस मौके पर अखिल भारतीय दिव्यांग लेखक सम्मेलन भी आयोजित किया गया।

अकादेमी के साहित्य उत्सव में कई गोष्ठियां संपन्न हुर्इं। इनमें स्वातंत्र्योत्तर भारतीय साहित्य पर राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रमुख थी। इसके अलावा भारत की भाषाओं का संरक्षण, अंग्रेजी लेखन और अनुवाद पर भी गोष्ठियां हुर्इं। साहित्य अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष गोपी चंद नारंग के जीवन और कृतित्व पर भी परिसंवाद हुआ। दुनिया का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव मानते हुए आाइंस्टीन वर्ल्ड रिकार्ड्स, दुबई की टीम ने इस कीर्तिमान का एक पत्र अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक को सौंपा।  

साहित्य उत्सव के अंतिम दिन दिव्यांग लेखकों का जुटान हुआ। इस अवसर पर अंग्रेजी साहित्यकार जीजेवी प्रसाद ने दिव्यांग रचनाकारों से कहा कि वे अपनी विशेष क्षमताओं को पहचान कर उन पर काम करें, उन्हें मंजिल जरूर मिलेगी। इस मौके पर अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि दिव्यांग लेखकों को अपने आत्मविश्वास की ऊर्जा से आगे बढ़ना पड़ेगा। तभी लक्ष्य तक पहुंच सकेंगे।

इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के सचिव के. सच्चिदानंदन ने कहा कि 24 भारतीय भाषाओं के दिव्यांग लेखकों को यहां उपस्थित पाकर साहित्य अकादेमी को गर्व का अनुभव हो रहा है।

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