नई दिल्ली। होली के अवसर पर कविताएं इंद्रधनुुष से कई रंग लेकर मंचों पर उतर रही हैं। साहित्य आयोजनों की कड़ी में कवियों ने फागुन के रंग बिखेर दिए। हिंदी साहित्य की दो विभूतियों काका साहब कालेलकर और विष्णु प्रभाकर की स्मृति में स्थापित सन्निधि एवं साहित्यिक संस्था ‘वयम’ के संयुक्त तत्वावधान में गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा रंगारंग काव्यगोष्ठी ‘फागुन के रंग-कविता के संग’ का आयोजन किया गया।

साहित्यकार और सन्निधि के संस्थापक अतुल प्रभाकर ने सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र, पुस्तकें  व लेखनी भेंट कर किया। वहीं काव्यपाठ करने वाले सभी कवियों को ‘वयम’ के अध्यक्ष नरेश शांडिल्य ने अंगवस्त्र से सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नाट्यकर्मी एवं कवि श्री शांडिल्य ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार डॉ. रमा सिंह  तथा विशिष्ट अतिथियों के रूप में गीतकार डॉ. रंजना अग्रवाल, अलका सिन्हा, डॉ. उषा उपाध्याय व डॉ. सांत्वना श्रीकांत ने मंच को गरिमा प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन कवि-शायर ताराचन्द ‘नादान’ ने किया।

फागुन के विविध रंगों को रचनाकारों ने अपनी कविताओं में उतारा। जिन कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं उनमें  शशिकांत, अनिल ‘मीत’, अशोक कश्यप, प्रमोद शर्मा ‘असर’, अरविंद ‘असर’, मनोज ‘अबोध’, जगदीश मीणा, सदानन्द कवीश्वर,  रूबी मोहंती, डॉ. तारा सिंह, शैलजा सिंह, मीना चौधरी, पूनम बडोला, अपर्णा थपलियाल और नूतन वर्मा शामिल हैं।

संजय वर्मा ने सुमधुर प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में कर्नल प्रवीण त्रिपाठी की विविध छंदों से सजी पुस्तक ‘मनके छंद के’ का लोकार्पण किया गया। कर्नल त्रिपाठी ने पुस्तक के बारे में बताया और अपनी एक रचना का पाठ भी किया। इस अवसर पर डॉ. सांत्वना श्रीकांत ने ‘पीठ पर उगा पलाश’ और ‘बुद्ध बन जाना तुम’ शीर्षक से कविताएं पढ़ीं।

इस अवसर पर गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा की अध्यक्ष कुसुम शाह, मंत्री वीना हांडा, प्रमुख सदस्य सावित्री भारद्वाज, रामानुजम सुन्दरम, बाल कीर्ति, मनु सिन्हा, अर्चना, सन्निधि की सदस्य कुमारी पुष्पा शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही।

आयोजन के अंत में महिला हिंदी संस्थान-कर्नाटक की हिंदी शिक्षिका शांताबाई के देहावसान पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सन्निधि के अध्यक्ष अतुल प्रभाकर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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