प्रेम में हो आजन्म प्रेम

-संतोषी बघेल प्रेम एक नैसर्गिक क्रिया है,नहीं है अद्भुत प्रेम का होना,या फिर तम में विचरण करतेदो हृदयों में प्रेम की कोंपल फूटना।परस्पर आकर्षण से विवश होकर,मन से एकाकार हो…