नई दिल्ली। चीन के भीतर क्या हो रहा है, इसे बड़े देश तो क्या उससे सटे पड़ोसी देशों तक को भनक नहीं लगती। मगर चीन है कि समुद्र से लेकर आसमान तक सब पर गिद्ध दृष्टि जमाए रखता है। जासूसी मामले में चीन अस्सी के दशक में सक्रिय हुआ था। आज पूरी दुनिया में अपना दबदबा कायम रखने के लिए उसके जासूसी विमान प्रतिद्वंद्वी देशों के सीमा क्षेत्र के पास और नौसेना से संबद्ध पोत हिंद महासागर क्षेत्र में मंडराते रहते हैं। चीन की गतिविधियां न केवल पड़ोसी देशों बल्कि भारत, आस्ट्रेलिया, जापान, वियतनाम से लेकर ताइवान और अमेरिका तक को परेशान कर रही है।
सीआइए को दी चुनौती
आज चीन न सिर्फ दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजंसी सीआइए को चुनौती दे रहा है बल्कि अमेरिका के लिए भी सिरदर्द बन चुका है। वह अमेरिका की गोपनीय जानकारियां बाहर निकालने के लिए लगातार हाथ-पैर मार रहा है। इस समस्या पर अमेरिका में चीनी मामलों के विशेषज्ञ अपनी चिंता जाहिर करते रहे हैं। क्या ही दिलचस्प बात है कि पूरे विश्व में अपनी सारी गतिविधियां गोपनीय रखने वाला चीन हर देश खासकर प्रतिद्वंद्वी और पड़ोसी देशों की हर बात जानना चाहता है। कुछ समय पहले न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित आलेख में विशेषज्ञों ने चीन की हरकतों से अमेरिका को आगाह किया था।
गोपनीयता में सबको दी मात
याद कीजिए कोविड के दौर को। तब चीन इस मामले में गोपनीयता बरत रहा था। जानलेवा विषाणु की उपज और कारणों को जानने देने की हर बात वह छिपा रहा था। जबकि पूरी दुनिया जानना चाहती थी कि कोरोना का विषाणु कहां से और कैसे फैला। हैरानी होती है कि कोई भी जासूस कोरोना का सच आज तक पता नहीं लगा पाया। चीन बेदाग निकल गया। उसकी जगह कोई और देश होता तो दुनिया के ताकतवर देश उसे छोड़ते नहीं। यही वह दौर था जब चीन अपने खुफिया तंत्र को धीरे-धीरे आधुनिक बना रहा था। उसने ऐसा ही किया और अपनी खुफिया एजंसी मिनिस्ट्री आफ स्टेट सिक्युरिटी (एमएसएस) को आधुनिक उपकरणों से लैस किया। वह कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटा।
अब कृत्रिम मेधा से भी लैस
विदेशी अखबारों में छपे आलेखों से पता चलता है कि चीन की खुफिया एजंसी एमएसएस अब ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और जापान सहित कई बड़े देशों की खुफिया एजंसियों को मात दे रही है। उसके जासूस हर आधुनिक संचार उपकरण और एआई से लैस हो रहे हैं। इसकी मदद से वह दूसरे देशों की खुफियागीरी में लगा है। यही नहीं चीनी एजंसी ने एमएसएस में नई भर्तियां भी की हैं।
कई बड़ी देशों की चिंता बढ़ी
इस लिहाज से अमेरिका सहित उन तमाम देशों की चिंता बढ़ गई है जिससे चीन रंजिश रखता है। इस चुनौती को देखते हुए अमेरिका ने भी चीन को मात देने के लिए सीआईए का बजट बढ़ा दिया है। यह स्थिति शीत युद्ध की याद दिलाती है जब तत्कालीन सोवियत संघ के साथ उसका तनाव था। आज तकनीक आधारित जासूसी के मामले में अमेरिका सबसे आगे रहना चाहता है। इसके लिए सीआईए ने भी अपनी कार्यशैली थोड़ी बदली है। हालांकि चीन की खुफिया एजंसी देश के बाहर ही नहीं भीतर भी काम करती है।
सब पर है उसकी नजर
सब जानते हैं कि चीन के भीतर किसी भी तरह के विरोध को बर्दाश्त नहीं किया जाता। लिहाजा देशविरोधी गतिविधियों पर भी चीन की इस खुफिया एजंसी नजर रखती है। आज पूरी दुनिया को चीन और उसकी खुफिया एजंसी से सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि वह कई देशों की वित्तीय, रक्षा और प्रौद्योगिकी संस्थानों तक पहुंचने की हर संभव कोशिश कर रहा है। इसके लिए वह संबंधित देशों के राजनीतिक गलियारों और कारपोरेट में घुसपैठ करता है।