अजीब दास्तां शी पेई पू की
नई दिल्ली। जासूसी की दुनिया भी विचित्र होती है। जासूस राष्ट्रभक्ति में कुछ भी कर गुजरते हैं। देश के लिए वे जान तक न्योछावर कर देते हैं। कुछ जासूसों ने…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
नई दिल्ली। जासूसी की दुनिया भी विचित्र होती है। जासूस राष्ट्रभक्ति में कुछ भी कर गुजरते हैं। देश के लिए वे जान तक न्योछावर कर देते हैं। कुछ जासूसों ने…
अंजू खरबंदा वह 1947 का दौर था। देश ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुआ और यह दो टुकड़ों में बंट गया था। उस समय आमजन को तय करना था कि उन्हें…