नई दिल्ली। ऐसा क्या हुआ था कि मलयालम लेखक सी राधाकृष्णन ने साहित्य अकादेमी कीसदस्यता छोड़ दी। दरअसल, यह कदम उन्होंने इस साल अकादेमी महोत्सव का उद्घाटन एक केंद्रीय मंत्री से कराए जाने के विरोध में उठाया। उनका  मानना है कि संबंधित मंत्री का साहित्य में कोई योगदान नहीं। बता दें कि अपने उपन्यास मुनपे परकुन्ना पक्षिकल, तीक्कडल कदंजु तिरुमधुरम और स्पंदामापिनिकाले से लेखक राधाकृष्णन प्रसिद्ध हैं।

मलयालम लेखक ने साहित्य अकादेमी के सचिव को सदस्यता अपना त्यागपत्र भेज दिया है। अपने त्यागपत्र में उन्होंने कहा कि अकादेमी के गौरवशाली इतिहास में यह पहली घटना है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दबाव खिलाफ साहित्य अकादेमी ने संस्थान की स्वायत्तता को बचाए रखा।

लेखक राधाकृष्णन ने इस्तीफे में लिखा है कि जब एक राज्यमंत्री ने महोत्सव के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया था तो अकादेमी के सदस्यों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद भरोसा दिया गया कि ऐसा दोबारा नहीं होगा। 

हालांकि मलयाली लेखक ने यह साफ किया है कि वे किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं हैं। वे सिर्फ संस्कृति के राजनीतिकरण के विरोध में हैं। क्योंकि यह साहित्य अकादेमी के अस्तित्व को कम करता है।   

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *