नई दिल्ली। अमूमन ऐसा होता नहीं। परिवार, संगठन, समाज और देश के बीच कोई न कोई गद्दार जरूर छिपा होता है। एक ऐसा ही गद्दार था सीआईए का एक एजंट एल्ड्रिच एम्स। मगर उसकी होशियारी उस वक्त धरी गई जब उसे वर्जीनिया में एफबीआई ने गिरफ्तार किया। ताजुब्ब की बात है कि वह 1985 से सोवियत संघ के लिए जासूसी कर रहा था। नौ साल तक वह अपने देश और अपनी ही खुफिया एजंसी को चकमा देता रहा।

दरअसल, एल्ड्रिच एम्स सीआईए का अधिकारी था और रूसी भाषा अच्छी तरह बोल लेता था। वह सोवियत संघ और रूस के बारे में और उनकी खुफिया सेवाओं के बारे में अच्छी जानकारी रखता था। वह सीआईए में औसत दर्जे का अधिकारी बेशक माना जाता हो, मगर स्वभाव से शातिर था। उसने कई जगह काम किया। उसकी पहली नियुक्ति अंकारा में हुई। बाद में उसे मेक्सिको भी भेजा गया। तुर्की में उसने सीआईए के लिए कुछ भर्तियां कीं।

केजीबी से गहरी साठगांठ
सीआईए मुख्यालय में जब एल्ड्रिच को पूर्वी यूरोपीय क्षेत्र और सोवियत डिवीजन सौंपा गया, तभी से उसने गद्दारी शुरू कर दी। वह अपनी खुफिया एजंसी की गोपनीय सूचनाएं सोवियत खुफिया एजंसी केजीबी को देने लगा। इसके साथ ही वह अपनी सैलरी से कहीं अधिक डॉलर वह केजीबी से पाने लगा। यही वह समय था जब एल्ड्रिच ने रूसी राजनयिक से मुलाकात की और उसे एक गोपनीय जानकारी दी। छह महीने बाद वह मास्को में केजीबी के अधिकारी से मिला। जुलाई 1986 में एल्ड्रिच का तबादला रोम कर दिया गया। वहां उसने केजीबी से अपनी साठगांठ जारी रखी। उसके साथ बैठकों में रूसी राजनयिक और खुफिया अधिकारी भी शामिल होते थे।

भनक लगते ही जांच शुरू
साल 1989 में एल्ड्रिच वाशिंगटन लौट गया। यहां से वह अपने गुप्त ठिकानों से केजीबी को वर्गीकृत दस्तावेज भेजता रहा। इसके बदले उसे समय-समय पर केजीबी कथित तौर पर डॉलर देती रही। कुछ समय बाद एफबीआई और सीआईए को पता चला कि उसके भर्ती किए गए अधिकारियों को पकड़ा जा रहा है और उन्हें मारा दिया जा रहा है। ये वो अधिकारी थे जिन्होंने सोवियत संघ की गोपनीय जानकारियां अमेरिका को दी थीं। इसी बीच एल्ड्रिच की कारगुजारियों की भनक सीआईए को लगी। एफबीआई ने 1993 में सिलसिलेवार जांच शुरू की।

एल्ड्रिच पर रखी गई निगरानी
अमेरिका की स्पेशल पुलिस ने दस महीने तक एल्ड्रिच पर ही नहीं उसके घर के बाहर भी निगरानी रखी। यहां तक कि उसके घर के भीतर जाकर एक दिन तलाशी भी ली। वहां पुलिस को रूसी खुफिया तंत्र के तार मिले। इस दौरान एल्ड्रिच को भनक तक नहीं लगी कि उस पर नजर रखी जा रही है। जब उसने ड्यूटी का हवाला देकर मास्को यात्रा की योजना बनाई तो उस पर शक पुख्ता हो गया। उसे गिरफ्तार करने की मंजूरी एफबीआई को मिल गई। इसके बाद न केवल एल्ड्रिच बल्कि उसकी पत्नी को भी हिरासत में ले लिया गया। दोनों को 1994 में दोषी करार दिया गया। उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई। उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई। इससे मिले करीब पांच लाख डॉलर पीड़ित सहायता कोष में जमा कर दिए गए। अलबत्ता एल्ड्रिच की पत्नी रोसारियो को सजा पूरी के बाद छोड़ दिया गया।      

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