नई दिल्ली। तेरह अप्रैल की रात जब आधी दुनिया सो रही थी, तब ईरान ने इजराइल पर दनादन मिसाइलें दागनी शुरू कर दीं। अचानक हुए इस हमले से मोसाद सहित दुनिया भर की खुफिया एजंसियां हक्का-बक्की रह गईं। इस्लामी क्रांति के बाद दशकों की दुश्मनी का खौफनाक चेहरा चेहरा सामने आया। यह पहली बार है जब ईरान ने इजराइल पर तीन सौ से अधिक मिसाइलों से हमला बोला है। खुफिया एजंसियों को अंदेशा है कि इजराइल पलटवार करेगा। उधर, ईरान ने कहा है कि उसने अपना मकसद पूरा कर लिया है। जबकि इजराइल ने कहा है कि सही समय पर इस हमले की कीमत वसूलेंगे।
ईरान ने हमले के 72 घंटे से पहले मित्र राष्ट्रों और पड़ोसियों को सूचित कर दिया था कि वह सीमित रूप से और आत्मरक्षा के लिए हमला करेगा। अगर फिर उस पर हमला हुआ तो अपने हित में दोबारा भी कदम उठाएगा। हालांकि अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि यह घटना किसी बड़े युद्ध में नहीं बदलेगी। दुनिया की महाशक्तियां इस घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। मगर रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान के इस अप्रत्याशित हमले ने पश्चिम एशिया को क्षेत्रीय युद्ध की ओर धकेल दिया है। कई देशों ने इसकी जहां निंदा की है, वहीं चिंता भी जताई है।
ईरान इतना बड़ा कदम उठाएगा ऐसा अंदेशा इजराइल को नहीं रहा होगा। अगर कोई दूसरा देश रहा होता तो उसके यहां हताहत होने वाले नागरिकों की संख्या अधिक होती। दरअसल, इजराइल का डिफेंस सिस्टम बहुत मजबूत है। ईरानी हमले के दौरान उसने आयरन डोम से मुकाबला किया। इसमें उसके कुछ रक्षा साझेदारों ने मदद की। इस हमले एक बच्ची घायल हो गई। एक ईरानी मिसाइल सैन्य अड्डे पर भी गिरा, जिससे थोड़ा नुकसान हुआ।
ईरान के हमले के दौरान इजराइल के कई युद्धक विमान आसमान में चक्कर लगा रहे थे। उन्होंने भी जवाबी कार्रवाई की। इस बीच इजराइल के आधुनिक डिफेंस सिस्टम आयरन डोम ने ज्यादातर ईरानी मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराया। आयरन डोम अमेरिका की मदद से बनाया गया था। यही वह सिस्टम है जिससे इजराइल ने दो साल पहले हमास के ज्यादातर मिसाइलों और राकेटों को रोका था। बता दें कि आयरन डोम में रडार तकनीक का प्रयोग होता है। वह सीमा में घुसने वाली मिसाइलों को मार गिराता है।
ईरान और इजराइल की सैन्य तुलना थोड़ी जटिल है। वैसे भी इजराइल की जनसंख्या अपेक्षाकृत कम है। ईरान की फौज में पांच लाख 80 हजार सैनिक है। जबकि इजराइल के एक लाख 69 हजार सैन्यकर्मी हैं। अलबत्ता, उसका रक्षा बजट (24.4 बिलियन डॉलर) ईरान से (9.95 बिलियन डॉलर) कहीं ज्यादा है। वैसे वायुशक्ति में गुणात्मक रूप से ज्यादा अंतर नहीं है। ईरान के पास बैलेस्टिक मिसाइलों और ड्रोन का सबसे बड़ा भंडार है। इनमें क्रूज और एंटी मिसाइलें शामिल है। वहीं लाल सागर में खुफिया जानकारी रखने के लिए उसके दो जहाज मंडराते रहते हैं।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद वैसे भी दुनिया दूसरा क्षेत्रीय युद्ध सहने की स्थिति में नही है। अमेरिका भी अपने यहां राष्ट्रपति चुनाव के कारण युद्ध का कोई मोर्चा खोलने की हालत में नहीं है। दरअसल इस पूरे विवाद के पीछे एक घटना है। सीरिया में एक अप्रैल को हवाई हमले में ईरानी वाणिज्य दूतावास में दो ईरानी जनरल मारे गए थे। ईरान ने इस हमले के बाद इजराइल को दोषी ठहराया था। इसका बदला लेने का संकल्प किया। यह पहली बार है जब दशकों की दुश्मनी के बाद उसने मिसाइलों से इजराइल पर हमला बोला है। इजराइल इसकी तीखी प्रतिक्रिया कब करेगा, इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है।