बेटी को आई मां की याद
-डॉ. परमजीत ओबेरॉय बहुत रोने का मन करता है-मां, आपसे मिलने का जी करता है।बहुत दिन हो गएदिन नहीं वर्षों हो गए,अब तो आ जाएं-मुझे मिलने,अकेले जान मन अस्थिर होता…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
-डॉ. परमजीत ओबेरॉय बहुत रोने का मन करता है-मां, आपसे मिलने का जी करता है।बहुत दिन हो गएदिन नहीं वर्षों हो गए,अब तो आ जाएं-मुझे मिलने,अकेले जान मन अस्थिर होता…
नई दिल्ली। इजराइल का खुफिया तंत्र इस समय अब तक के सबसे मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा है। एक तरफ हमास से जुड़े हमले को रोकने में नाकामी तो…