समाचार डेस्क
नई दिल्ली। कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के लिए कुछ नियम कायदे तय करने के लिए सरकार कवायद कर रही है। इस पर एक योजना बन रही है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अगुआई में बनी एक समिति इसकी रूपरेखा बना रही है। इस कार्य के लिए शिक्षा सहित कई क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को जोड़ा गया है। कुछ समय पहले ही प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की ओर से कृत्रिम मेधा पर कार्यपत्र जारी किए गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद एआई को लेकर एक बड़ी रूपरेखा तैयार होगी।
बताया जा रहा है कि सरकार आने वाले समय में कृत्रिम मेधा पर संतुलित दृष्टिकोण रखेगी। इस बात पर जोर दिया जाएगा कि एआई का सही ढंग से उपयोग करने वालों को परेशानी न हो। इसके लिए जवाबदेही बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। वैसे कृत्रिम मेधा पर इससे पहले भी मसविदे तैयार हो चुके हैं। अब भी संबंधित पक्षों पर इस पर विचार-विमर्श जारी है। इससे पहले केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के सदस्यों को लेकर बनाई गई समिति ने एआई पर एक अंतर मंत्रालय निकाय बनाने की सिफारिश की थी। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भूमिका बढ़ाने की बात थी।
भारत में कृत्रिम मेधा का प्रयोग अभी प्राथमिक अवस्था में जरूर है, मगर आने वाले बरसों में इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग होने की संभावना है। अभी इस पर कोई ठोस नीति और नीतिगत व्यवस्था न होने से इसके अपने खतरे हैं। इस तकनीक के बेजा दुरुपयोग से पैदा होने वाले जोखिम को लेकर सभी क्षेत्रों में चिंता जताई जा रही है। इसलिए यह मुद्दा उठा कि इस पर एक नीति बने। कुछ नियम बनाए जाएं।
एआई को लेकर सरकार भी सजग है। इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पहले भी विभिन्न इकाई मंचों को जोखिम से बचने के लिए नियम बनाने का सुझाव दिया था। मंत्रालय का कहना था कि एआई के जोखिम से उसके उपयोगकर्ताओं को कोई नुकसान न हो। इससे पहले इसी साल आर्थिक सलाहकार परिषद ने भी इसके लिए एक फ्रेमवर्क बनाने का सुझाव दिया था। इसमें एआई पर नजर रखने के लिए एक नियामक बनाने के साथ पारदर्शिता लाने और जवाबदेही के लिए जांच अनिवार्य करने का भी सुझाव दिया था।
ऐसा माना जा रहा है कि सरकार एआई के लिए नियम कायदे तय करने के साथ इस क्षेत्र में नवाचार बढ़ाने पर भी जोर देगी।