साहित्य संवाददाता

नई दिल्ली। कवयित्री शालू शुक्ल को उनके संग्रह ‘तुम फिर आना बसंत’ के लिए पिछले दिनों शीला सिद्धांतकर स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। वे लखनऊ की निवासी हैं और काफी समय से कविताएं रच रही हैं।

कवयित्री शालू को सम्मानित करने के लिए साहित्य अकादेमी सभागार में एक आयोजन हुआ। शैक्षणिक सांस्कृतिक केंद्र ने इसे आयोजित किया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले शीला सिद्धांतकर पर फिल्म दिखाई गई। इस फिल्म के निर्माता करण सिंह चौहान हैं। निर्देशन रामजी लाल यादव ने किया है।

इस अवसर पर शालू शुक्ल ने अपने काव्य संग्रह पर प्रकाश डाला। उन्होंने समाज में स्त्री संघर्ष पर कई सवाल सामने रखे। इस मौके पर शिव मंगल सिद्धांतकर ने लेखकों का ध्यान समकालीन राजनीतिक परिदृश्य की ओर खींचते हुए समाज को जागरूक करने के लिए कहा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और कथाकार गरिमा श्रीवास्तव ने शालू शुक्ल की कविताओं के बहाने स्त्रियों के विमर्श को सामने रखा है।  

मुख्य अतिथि ममता कालिया ने शालू शुक्ल की कविताओं का उल्लेख करते हुए स्त्री रचनाकारों से गैर बराबरी के खिलाफ निसंकोच लिखने को कहा। समारोह का संचालन डॉ. ज्योतिष जोशी ने किया। ज्ञानचंद्र बागड़ी ने श्रोताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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