नई दिल्ली। इजराइल और ईरान तनातनी के बीच खुफिया एजंसी मोसाद का एक विमान पिछले दिनों सऊदी अरब में उतरा। इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। यह विमान वैसे तो निजी बताया जाता है, मगर इसका प्रयोग आाम तौर पर मोसाद के अधिकारी ही करते अए हैं। बताया जा रहा है कि यह विमान इजराइल के बेन गुरियन हवाई अड्डे से उड़ा और सीधे सऊदी की राजधानी में उतरा। अंतरराष्ट्रीय जगत में इसे इजराइल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में देखा गया है। दोनों देशों के बीच संबंध कब और कितना बेहतर होगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।

दूसरी ओर मोसाद के विमान को लेकर ईरान के समाचार नेटवर्क प्रेस टीवी ने भी खबरें जारी कीं। उसने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जो विमान रियाद में उतरा इसका प्रयोग इजराइल की आंतरिक सुरक्षा सेवा के अधिकारी करते रहे हैं। इस बार तो इस विमान से इजराइल के वरिष्ठ अधिकारी भी सऊदी अरब पहुंचे। इस पूरी कवायद के पीछे अमेरिका है जो दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।

बता दें कि मोरक्को, सूडान और संयुक्त अरब ने साल 2020 में इजराइल के साथ अमेरिकी मध्यस्थता में समझौते पर दस्तखत किए थे। अमेरिका काफी समय से राजनयिक समझौते पर जोर दे रहा है। इस समझौते के मुताबिक राजनयिक मान्यता के बदले फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए इजराइल पर दबाव बनाएगा। कहा गया है कि इजराइल को मान्यता देने पर सऊदी अरब का अमेरिका के साथ औपचारिक सैन्य संबंध हो सकता है। वहीं नागरिक परमाणु ऊर्जा में उसे सहायता दी जा सकती है। दूसरी ओर फिलिस्तीन के लिए नए सिरे से प्रयास होंगे।

इजराइल और सऊदी अरब के बीच फिलस्तीन के मुद्दे पर संबंध सामान्य नहीं है। इन दोनों देशों के बीच संभावित बातचीत को पिछले साल अक्तूबर में उस समय झटका लगा था जब इजरायल ने गाजा पर आक्रमण कर दिया था। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते तल्ख हो गए थे। गाजा पर हमले के बाद से सऊदी अरब चाहता है कि फिलिस्तीन को एक अलग देश का दर्जा मिलना चाहिए।

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