एक थी जासूस मार्था
नई दिल्ली। विश्व युद्ध की शुरुआत हो चुकी थी। बेल्जियम पर जर्मनी हमला कर चुका था। यह उन्हीं दिनों की बात है। यानी 1914 की गर्मियों की। तब मार्था एक…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
नई दिल्ली। विश्व युद्ध की शुरुआत हो चुकी थी। बेल्जियम पर जर्मनी हमला कर चुका था। यह उन्हीं दिनों की बात है। यानी 1914 की गर्मियों की। तब मार्था एक…
नई दिल्ली। कहानी के विस्तार का सिलसिला निरंतर जारी है और जारी रहेगा। हिंदी साहित्य की इस विधा के विलुप्त होने की आशंका निराधार है। नए समय के साथ कहानी…