नई दिल्ली। कहानी के विस्तार का सिलसिला निरंतर जारी है और जारी रहेगा। हिंदी साहित्य की इस विधा के विलुप्त होने की आशंका  निराधार है। नए समय के साथ कहानी नए-नए कलेवर में हम सब के बीच सदा उपस्थित रहती है। जरूरत है उसे पहचानने की दृष्टि  को विकसित करने की। कहानी को लेकर ये बातें वरिष्ठ लेखिका और विष्णु प्रभाकर की पुत्री अनिता प्रभाकर की याद में पहली हिंदी कहानी प्रतियोगिता के विजेताओं को साहित्य अकादेमी के सभागार में  एक समारोह में पुरस्कृत किए जाने के दौरान  प्रख्यात और नवोदित  कथाकारों के बीच हुए विमर्श में निचोड़ के रूम में सामने आई। इस मौके पर  विष्णु प्रभाकर के परिवार में साहित्य की ज्योति निरंतर जलाए रखने के लिए अनीता प्रभाकर और अतुल प्रभाकर सहित उनके परिवार को सभी वक्ताओं ने बधाई दी।

डॉ रोहिणी अग्रवाल की अध्यक्षता में विजेता कथाकारों को पुरस्कृत किया गया। विजेताओं में प्रथम रेणु मंडल, द्वितीय रजनी शर्मा और तृतीय सुदर्शन खन्ना और मीनू त्रिपाठी पुरस्कृत की गईं। विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल कुमार ने अनीता प्रभाकर के योगदान का उल्लेख करते हुए सभी का स्वागत और खासकर विजेताओं को बधाई दी।

मुख्य अतिथि और वरिष्ठ कथाकार विवेक मिश्र ने कहानी विधा और ऐसी प्रतियोगिताओं के महत्व पर प्रकाश डाला और इसे सार्थक बताया। पूरे भरे सभागार में निर्णायक मंडल से जुड़े कथाकार और संपादक महेश दर्पण और अलका सिन्हा ने प्रतियोगिता में आईं सभी कहानियां पढ़ कर हुए अपने सुखद अनुभवों को साझा करते हुए इस बात का उल्लेख किया कि साहित्य लेखन में महिलाओं की उपस्थिति खूब बढ़ रही है।

समारोह में  विष्णु प्रभाकर परिवारजनों के अतिरिक्त अनेक महत्त्वपूर्ण साहित्यकार डॉ विमलेश कांति वर्मा, डॉ हरिसिंह पाल, राकेश पाण्डेय, केके दीक्षित, अरुण कुमार पासवान, कुसुम शाह, निशा निशांत, शाम शर्मा,आदि उपस्थित रहे। भोजन उपरांत दूसरे सत्र में सभी विजेताओं ने अपनी-अपनी कहानियों का पाठ किया। इस अवसर पर अतुल कुमार के संपादन में सभी पुरस्कृत कहानियों के संकलन का लोकार्पण भी किया गया।

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