वह नौकरी छोड़, करने लगा जासूसी
नई दिल्ली। दुनिया की तमाम सुरक्षा एजंसियां बहुत छानबीन और तमाम परीक्षाएं लेने के बाद जासूसों की भर्ती करती हैं। मगर कई जासूस न केवल अपने नियोक्ता का भरोसा तोड़ते…
जासूस जिंदा है, एक कदम है जासूसी लेखन की लुप्त हो रही विधा को जिंदा रखने का। आप भी इस प्रयास में हमारे हमकदम हो सकते हैं। यह खुला मंच है जिस पर आप अपना कोई लेख, कहानी, उपन्यास या कोई और अनुभव हमें इस पते jasooszindahai@gmail.com पर लिख कर भेज सकते हैं।
नई दिल्ली। दुनिया की तमाम सुरक्षा एजंसियां बहुत छानबीन और तमाम परीक्षाएं लेने के बाद जासूसों की भर्ती करती हैं। मगर कई जासूस न केवल अपने नियोक्ता का भरोसा तोड़ते…
अतुल मिश्र रामभरोसे लाल दस्तों को भी गुप्त रोगों में ही शुमार करते थे और उनका मानना था कि गुप्त रोग को हमेशा गुप्त रूप से ही किसी गुप्त रोग…
-संतोषी बघेल एक अनाम खतलिखना चाहती हूं मैंअपनी मां के नाम,ढेरों शिकायतें, ढेरों नाराजगी के साथ।मां ने क्यों नवाजी ये जिंदगी,पूछना चाहती हूं उससे।क्यों दी ये घुटी हुई सांसें,दोगले समाज…