-अंजू खरबंदा

चावल के आटे से रंगोली बनाने के फायदे हैं। यह चीटियों, चिड़ियों आदि के खाने के काम आ जाता है। इस तस्वीर को देखकर मुझे ये लघुकथा याद आ गई ।

‘सामान की लिस्ट तैयार हो गई? पांच किलो फूल याद से लिख लो। मंदिर मे काफी लोग आएंगे फूल कम न पड़े।’ सुरेश जी ने सारी व्यवस्था पर नजर डालते हुए कहा।

‘पापा! फूल दादी की फोटो पर चढ़ाने के बाद उन फूलों का क्या करेंगे?’ लक्षित ने उत्सुकता से पूछा।

‘ये कैसा प्रश्न! जाकर किसी नदी मे बहा देंगे बेटा।’ सुरेश जी ने थोड़ा अचंभित होते हुए जवाब दिया ।

‘तो नदी प्रदूषित नहीं होगी इससे?’ लक्षित का बालमन फिर प्रश्न कर बैठा।

‘पर बेटा पुष्पांजलि के बिना धर्म-कर्म कैसे पूरा होगा।’ सुरेश जी ने उसके गालों पर हल्की चपत लगाते हुए उत्तर दिया।

‘पापा हम पुष्पांजलि के स्थान पर गेहूं चावल अर्पित करें तो!’  जिझासु लक्षित ने पापा की ओर देखते हुए पूछा।

‘गेहूं चावल अर्पित! मतलब!’

सुरेश जी हैरानी से लक्षित की ओर देखते हुए बोले।

‘मतलब दान किया गया गेहूं चावल हम जरूरतमंदों में बांट देंगे, जिससे उनका भी भला होगा।’ लक्षित ने अपनी बात को समझाते हुए कहा।

‘हम पशु-पक्षियों को भी तो ये अनाज खिला सकते हैं। सोचिए दादी की आत्मा को कितना सुकून मिलेगा।’

इतनी देर से चुप बैठी तृप्ति बोल उठी

‘…और नदियों को मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति!’

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