अंजू खरबंदा
दिल्ली में यमुना नदी का वह घाट जहां कभी कचरे का ढेर लगा रहता था, बदबू ऐसी कि पल भर खड़ा होना मुश्किल था और तिस पर हर तरफ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता था। मगर अब दिल्ली के वासुदेव घाट का कायाकल्प कर यहां यमुनाजी की आरती की शुरुआत की गई है। दिल्ली में वासुदेव घाट रिंग रोड पर कश्मीरी गेट के पास है। इस पूरे इलाके का विकास कर इसका सौंदर्यीकरण किया गया है। घाट को नए सिरे से विकसित किया गया है। आसपास के क्षेत्रों को आकर्षक कलाकृतियों और फव्वारों से सजा दिया गया है।
इस घाट का विकास दिल्ली के राज्यपाल की पहल पर किया गया है। इस घाट को काशी के दशाश्वमेध घाट के तर्ज पर सजाया गया है, जिससे यहां आरती में शामिल होने वाले लोगों को काशी की प्रसिद्ध आरती का आनंद मिल सके।
वासुदेव घाट दिल्ली में यमुना का पहला घाट है जिसे डीडीए ने विकसित किया है। यह घाट 16 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है जिसकी लंबाई 145 मीटर है। घाट से यमुना नदी की दूरी महज 25 कदमों की है। घाट के किनारों पर लगभग पांच हेक्टेयर के क्षेत्र को चार बाग की तरह हरित क्षेत्र में बदल दिया गया है। मुगल गार्डन के तर्ज पर ही यहां पारंपरिक छतरियां बनाई गई हैं।
इसके साथ ही यहां ‘देवी यमुना की मूर्ति’ और ‘फ्लावर बेड’ भी बनाया गया है जहाँ मौसमी फूलों के साथ ट्यूलिप आदि फूलों के पौधे भी लगाए जाएंगे। साथ में विभिन्न प्रजातियों के 2000 से पेड़ और ‘रिवराइन घास’ भी लगाई गई है। पूरे घाट पर आकर्षक रोशनी की गई है। पैदल चलने वाले लोगों की सुविधा के लिए 2.1 मीटर चौड़ा और 1.8 किमी लंबा पैदल पथ बनाया गया है।
इसके अलावा 1.3 किमी लंबा ‘साइकिल ट्रैक’ भी बनाया गया है जो इसे ‘मॉर्निंग वॉक’ और ‘एक्ससाइज’ करने वालों की पसंदीदा जगह बनाएगी।
घाट के पास ही उत्तर प्रदेश के जलेसर में बना 300 किलो का एक घंटा लगाया गया है। अयोध्या के राम मंदिर में लगा 800 किलो के घंटा को भी जलेसर में ही बनाया गया था।
पहले दिन से ही यमुना आरती दिल्ली वालों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी है। फिलहाल सप्ताह में दो दिन मंगलवार और रविवार को यहाँ शाम के समय यमुना आरती की हो रही है। जैसे-जैसे लोग जुड़ते जाएंगे आरती को नियमित कर देने की बात भी की गई है। तो कब जा रहे हैं आप वासुदेव घाट?